चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार चाहे तो नौकरी से निकाले जाने वाले जेबीटी शिक्षकों का भविष्य बर्बाद होने से बच सकता है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कुछ ऐसा ही स्पेस राज्य सरकार के लिए छोड़ दिया है। या यूं कहिए कि गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में व्यवस्था दी है कि यदि राज्य सरकार चाहे तो नौकरी से हटाए जाने वाले जेबीटी शिक्षकों की किसी अन्य जगह नौकरी के लिए आयु सीमा बढ़ा सकती है। ऐसी व्यवस्था इसलिए दी गई है, क्योंकि इन जेबीटी को काम करते हुए 13 साल हो गए हैं और अब यदि उन्हें हटाया जाता है तो नौकरी के लिए आवेदन करने की उनकी आयु खत्म मानी जाएगी। ऐसे में उनके लिए नए सिरे से रोजी रोटी का संकट खड़ा हो सकता है। हाईकोर्ट ने यह तक व्यवस्था दे दी है कि यदि सरकार इन जेबीटी की आयु बढ़ाती है तो वह जेबीटी समेत अन्य विभागों में कहीं भी नए सिरे से नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। अब यह सरकार पर निर्भर करेगा कि जेबीटी शिक्षकों की आयु बढ़ाने अथवा उन्हें किन्हीं दूसरे विभागों में समायोजित अथवा नए सिरे से नौकरी के लिए अप्लाई कराने के मामले में क्या फैसला लेती है।
फैसले पर टिप्पणी अनुचित : अरोड़ा
इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा का कहना है कि हाकोर्ट के फैसले पर टिप्पणी उचित नहीं है। अब यह शिक्षकों को तय करना है कि उन्हें क्या रणनीति बनानी है।
प्रभावितों की चिंता करे सरकार
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता वीर कुमार यादव ने कहा कि फैसले के बाद राज्य सरकार को प्रभावित लोगों के भविष्य की चिंता करनी चाहिए। यदि किसी का रोजगार जाएगा तो एक व्यक्ति का पूरा परिवार प्रभावित होता है।
अपना स्टैंड स्पष्ट करें दल: अनिरुद्ध
युवा बोलेगा संगठन के मुखिया अनिरुद्ध चौटाला ने कहा कि राजनीतिक दलों को हाईकोर्ट के इस फैसले पर अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए। सरकारी भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार पर कड़ा फैसला आया है। dj
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