सबको शिक्षा का कानून लागू हुए चार साल पूरे होने को हैं। अब तक इस योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के माध्यम से एक लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च कर चुकी है, लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि देश के आधे से ज्यादा राज्यों में बच्चे औसत ज्ञान भी नहीं हासिल कर पा रहे हैं।
मानव संसाधन मंत्रालय ने वर्ष 2009 से 2013 तक की स्थितियों को जो आंकड़ा जारी किया है, वह सरकारी शिक्षा की पोल खोलने के साथ ही चौंकाता भी है। विभिन्न योजनाओं में केंद्र पिछले चार साल में एक लाख करोड़ रुपये शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के नाम पर राज्यों को दे चुका है। इस धनराशि में राज्यों ने भी 35 फीसदी अपना योगदान अलग से दिया है। मगर नतीजा शिक्षा के स्तर को लेकर चिंताजनक है। आरटीई रिपोर्ट के मुताबिक योजना के लागू होने के बाद सरकारी 25 हजार से ज्यादा स्कूल नए बनाए गए हैं। लेकिन शिक्षकों की संख्या में 15 हजार कमी हुई है। प्राइमरी तथा मिडिल स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई व सीख पर हुए सर्वेक्षण तो चिंता में डालने वाला है। 5वीं कक्षा तक के बच्चों से पर्यावरण, गणित तथा सामान्य रूप से पढ़ने के आधार पर लिए गए टेस्ट के आधार पर देश के आधे राज्यों में बच्चों ज्ञान व सीखने का स्तर औसत से भी कम पाया गया। audili
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