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Friday, 28 March 2014

डिग्री नहीं, महज कागज है आयुर्वेद की उपाधि

** बीएएमएस डिग्री धारकों का नहीं होगा स्थाई पंजीकरण 
** पीजीआई के पास नहीं सीसीआईएम की मान्यता
रोहतक : प्रदेश की एकमात्र पं. बीडी शर्मा हेल्थ यूनिवर्सिटी से संबंध आयुर्वेद कालेजों को सीसीआईएम ने अपने शैड्यूल में शामिल नहीं किया है। इसके चलते बीएएमएस की डिग्री लेने वाले डॉक्टरों का स्थाई पंजीकरण नहीं होगा। 
राज्य सरकार ने 2008 में पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की। वर्तमान में विवि से 6 आयुर्वेदिक कालेज जुड़े हैं और इन कालेजों का पहला बैच भी निकल गया है। बेशक ये स्टूडेंट्स डिग्री लेकर खुद को बीएएमएस डॉक्टर समझें, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है, क्योंकि हेल्थ विवि के पास सीसीआईएम (सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन) से मान्यता ही नहीं मिली है। मान्यता न मिलने तक ये बीएएमएस डॉक्टर न तो प्रैक्टिस कर सकते हैं और न ही सरकारी नौकरी के लिए आवेदन। 
आयुष द्वारा गैर मान्यता प्राप्त बीएएमएस डॉक्टरों का पंजीकरण करने से भी इंकार कर दिया है, जिसके चलते आक्रोशित डिग्रीधारक कभी भी आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं। बीएएमएस स्टूडेंट रोबिन, दिनेश, अर्पित, राजीव के अनुसार बीएएमएस डिग्रीधारक शुक्रवार को बैठक कर आंदोलन की योजना बनाएंगे। 
सीसीआईएम नई दिल्ली के पत्र के मुताबिक जब तक पं. बीडी शर्मा हेल्थ विवि को भारतीय केंद्रीय चिकित्सा परिषद एक्ट 1970 के सेकंड शैड्यूल में शामिल नहीं किया जाता, तब तक विवि के आयुर्वेद डिग्रीधारकों का स्थाई पंजीकरण नहीं हो सकेगा।                                           db

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