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Saturday, 29 March 2014

मूल्यांकन के नाम पर बच्चों के साथ एक भद्दा मजाक


शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा तीसरी व पांचवीं का जो मूल्यांकन किया जा रहा है, उसका विरोध दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इस मूल्यांकन का जहां शिक्षक संगठन विरोध कर रहे थे, वहीं विभाग की यह कार्य प्रणाली भी विवादास्पद रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग ने मूल्यांकन के नाम पर बच्चों के साथ एक भद्दा मजाक किया है। 
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा के राज्य प्रधान विनोद ठाकरान एवं महासचिव दीपक गोस्वामी ने कहा कि विभाग लगातार दावा करता रहा है कि यह मूल्यांकन बच्चों को उनके सीखने की क्षमता की जांच है, लेकिन विभाग द्वारा जो प्रश्न पत्र इन कक्षाओं के मूल्यांकन के लिए भेजे गए थे वो लगभग 75 प्रतिशत मिलते-जुलते थे। पहले भी 10वीं के पेपर में 12वीं के पेपर मिलते रहे हैं। अगर सीखने की क्षमता की बात की जाए तो दोनों कक्षाओं का सीखने का स्तर अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि अगर सच में ही विभाग बच्चों के सीखने की क्षमता जांचकर कोई प्रयोग करना चाहता है तो इसके लिए पहले ही कोई मोड्यूल तैयार करना चाहिए। 
संघ मूल्यांकन का विरोध नहीं करता लेकिन विभाग की जल्दबाजी का पुरजोर विरोध करता है और संघ की ओर से बार-बार सरकार को इस बात की जानकारी दी गई है। प्राथमिक स्तर की शिक्षा पर जो भी प्रयोग किए जाएं, उनमें प्राथमिक शिक्षकों को शामिल किया जाए, लेकिन ऐसा न होने के कारण, प्राथमिक शिक्षकों में काफी रोष है।                                                 dbjnd

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