** विभागीय कमेटी की रिपोर्ट में अवैध ठहराया गया है सिक्योरिटी फीस को
** विभाग की रोक के बावजूद कंपनियां बना रही टीचरों पर फीस का दबाव
चंडीगढ़ : हरियाणा में कंप्यूटर अध्यापकों के मामले में शिक्षा विभाग द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद भी निजी कंपनियां कंप्यूटर अध्यापकों पर सिक्यारिटी फीस देने का दबाव बना रही हैं। यह वही कंपनियां हैं जिनसे शिक्षा विभाग ने कंप्यूटर शिक्षकों के लिए करार किया है। विभाग की कमेटी द्वारा सिक्योरिटी फीस की वसूली को गलत ठहराए जाने के बाद राज्य की शिक्षा मंत्री विधानसभा में भी इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दे चुकी हैं।
हरियाणा में इस समय करीब तीन हजार कंप्यूटर अध्यापक तैनात हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए शिक्षा विभाग ने एक कमेटी गठित की थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अध्यापकों से ली गई सिक्योरिटी फीस गलत वसूली है और सिक्योरिटी फीस लिया जाना एमओयू के खिलाफ है।
कंप्यूटर टीचर वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव शशिभूषण ने बताया कि तीन कंपनियों के साथ सरकार का कंप्यूटर शिक्षा के लिए करार हुआ है। इन तीन कंपनियों में एक कंपनी ने करीब 700 अध्यापकों से 24 हजार रुपये की सिक्योरिटी मनी ली है जबकि बाकी दो कंपनियां भी कुछ पैसा ले चुकी हैं और बकाया पैसे के लिए डिमांड कर रही हैं। शिक्षकों से यह कहा जा रहा है कि या तो वे बची हुई राशि डीडी के माध्यम से दें अथवा अपनी सैलरी से कटवाएं।
"कंपनियां हमारा शोषण कर रही हैं। शिक्षा विभाग को चाहिए कि वे कंपनियों को बीच से हटाकर हमें अपनी अधीन करें।"--शशि भूषण, महासचिव, कंप्यूटर टीचर वेलफेयर एसोसिएशन
"अभी तक जो बात हुई है उसके मुताबिक यह सिक्योरिटी फीस एमओयू के खिलाफ है। इसे अध्यापकों को वापस किया जाना चाहिए। हमने उच्च अधिकारियों के समक्ष रिपोर्ट रख दी है। अभी फाइल हमारे पास वापस नहीं आई है।"--सुमेधा कटारिया, अतिरिक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा विभाग dt
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