** छह सौ पदों पर कोई भी अध्यापक नहीं, 900 गेस्ट टीचर चला रहे काम
** नया सेशन शुरू, खलेगी अध्यापकों की कमी
करनाल : शिक्षा विभाग के शिक्षा के सुधार के दावे अध्यापकों की कमी के चलते बौने साबित हो रहे हैं। जिले में 763 गवर्नमेंट स्कूल हैं, जिनमें लगभग 1500 अध्यापकों की कमी है। इनमें से लगभग 900 गेस्ट टीचर से काम चलाया जा रहा है और 600 पद ऐसे हैं, जहां पर कोई भी अध्यापक नहीं है। 23 मार्च से नया सेशन शुरू हो चुका है, लेकिन अधिकतर स्कूलों में अध्यापकों की कमी है। अभिभावकों का कहना है कि जिस स्कूलों में अध्यापक ही नहीं होंगे, वहां पढ़ाई कैसे हो सकती है। गवर्नमेंट स्कूलों के प्रति अभिभावकों का भी रुझान कम होता जा रहा है। अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को गवर्नमेंट स्कूलों के बजाय निजी स्कूलों में पढ़ाना पसंद करते हैं।
जिले के प्राइमरी स्कूलों मेें 2420 जेबीटी पदों की मंजूरी है, जिनमें से 1793 पदों पर अध्यापक लगे हैं। 450 गेस्ट टीचर लगे हुए हैं और बाकी पद खाली पड़े हैं। सीएंडवी के 1204 पद मंजूर हैं, जिनमें से 995 पदों पर अध्यापक मौजूद हैं। गेस्ट टीचर 85 लगे हुए हैं और अन्य पद खाली हैं। मास्टर्स के 1404 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 1009 अध्यापक लगे हैं। गेस्ट टीचर 291 और बाकी पद अध्यापकाें के आने का इंतजार कर रहे हैं। लेक्चरर के 647 पदों को मंजूरी मिली हुई, 434 पद भरे हैं। 141 पदों पर गेस्ट टीचर कार्य कर रहे हैं। हेड मास्टर के लिए 85 पद मंजूर हैं, जिनमें से केवल 20 पदों पर ही कार्यरत हैं। बाकी सभी पद खाली पड़े हैं। प्रिंसिपल के लिए 84 पदों को मंजूरी है, जिनमें से 69 प्रिंसिपल ही मौजूद हैं।
अभिभावक मुनीष, कर्मबीर व राजीव का कहना है कि हम तो सरकारी स्कूलों में ही अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन अध्यापकों की कमी के कारण उन्हें मजबूरन निजी स्कूलों में दाखिल करवाना पड़ता है। उधर, अध्यापक कृष्ण कुमार निर्माण का कहना है कि जिस प्रकार मुखिया के बिना घर नहीं चल सकता उसी प्रकार मुख्याध्यापक व अध्यापकों के बिना स्कूल कैसे चल सकते हैं।
"जो व्यवस्था है, उसके अनुसार पढ़ाई करवाई जा रही है। अध्यापकों की कमी की रिपोर्ट मुख्यालय भेज चुके हैं और कई अध्यापकों की नियुक्ति भी की गई है। कमी तो है ही।"--आशा मुंजाल, जिला शिक्षा अधिकारी, करनाल। au
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