बिलासपुर : शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने व बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि पैदा करने के लिए अब अभिभावकों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। सरकारी स्कूलों में प्रवेश के दौरान उन्हें लिखित रूप में यह देना होगा कि गैर जरूरी कामों के लिए बच्चों को घर पर नहीं बैठाएंगे। समय पर उनकी फीस जमा कराएंगे ताकि नाम न कट पाए। हर माह होने वाली पैरेंट्स टीचर मीट में हिस्सा लेंगे व कमजोर बच्चों को अलग से कोचिंग देने में मदद करेंगे।
सरकारी स्कूलों में मनाए गए प्रवेश उत्सव के दौरान इस बात पर विशेष चर्चा की गई कि ग्रामीण क्षेत्र में अभिभावकों की जागरुकता की कमी के चलते बच्चे स्कूलों से ड्राप आउट हो रहे हैं। बच्चों से घरों में काम लिए जाते हैं, जिनके लिए वे मां-बाप जिम्मेदार है। बच्चों के अनावश्यक कार्यों के लिए स्कूल से गैर हाजिर रहने से उनकी पढ़ाई में रूचि कम हो जाती है। जिस कारण बच्चा स्कूल जाने से डरने लगता है। थोड़ा सा लालच बच्चे के पूरे कॅरियर को खराब कर देता है। बीईओ बलबीर सिंह ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को सरकार अनेक प्रकार की सुविधाएं प्रदान कर रही है। उन्हें मुफ्त शिक्षा के अलावा स्कूल बैग, वर्दी, छात्रवृत्ति, पुस्तकें व स्कूल तक आने जाने की व्यवस्था भी करवाई जा रही है।
अभिभावक-टीचर दोनों जिम्मेदार:
प्रिंसिपल सुमेर चंद शर्मा व हेडमास्टर श्याम कुमार ने कहा कि किसी भी बच्चे की असफलता के लिए टीचर व अभिभावक दोनों जिम्मेवार है। यदि अभिभावक जागरूक होंगे तो कोई भी बच्चा असफल नहीं हो सकता। अभिभावक समय समय पर अपने बच्चे के शिक्षक से संपर्क करते रहें और उसकी प्रगति रिपोर्ट की जानकारी लेते रहे तो शिक्षा में सुधार होगा। dbymnr
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