कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी प्रशासन सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर खासा मेहरबान है। ताज्जुब इस बात का है कि केयू प्रशासन जहां नौकरी पर रहते हुए तो कर्मचारियों से कैंपस में मकान लेने पर अधिक पैसे लेता है, वहीं जब कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो उन्हें पांच गुणा कम किराया देना पड़ता है, जिसके चलते सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी केयू कैंपस में रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
दिलचस्प बात तो यह है कि यह नियम केयू में बरसों से चला आ रहा है। वहीं केयू प्रशासन सेवानिवृत्ति के बाद भी कर्मचारियों को दोबारा नियुक्त कर रहा है,जिसके चलते मौजूदा समय में केयू में 60 से अधिक सेवानिवृत्त कर्मचारी कार्यरत हैं।
यह है साइड इफेक्ट
केयू के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के केयू कैंपस में ही रहने से मकान खाली होने के लिए कर्मचारियों को इंतजार करना पड़ता है। वहीं केयू प्रशासन की आमदन भी कम होती है। वर्तमान में कई कर्मचारी व शिक्षक सेवानिवृत्ति के बावजूद केयू कैंपस में रह रहे हैं। जबकि नौकरी कर रहे कई कर्मचारी मकान के लिए धक्के खा रहे हैं। उन्हें मजबूरन शहर या आसपास महंगी दरों पर किराये पर मकान लेकर रहना पड़ रहा है।
किराए के साथ एचआरए नहीं
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के कैंपस में मकान लेने पर कर्मचारियों का मकान के किराए के साथ एचआरए भी कटता है। एचआरए दो हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक होता है। जब कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो उन्हें एचआरए नहीं मिलता, जिस कारण उनका एचआरए नहीं कटता। इससे सेवानिवृत कर्मचारियों को केवल मकान का किराया ही देना पड़ता है। dbkrnl
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