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Thursday, 27 March 2014

मेन गेट के बाहर लगा बोर्ड बताएगा स्कूल को कितनी ग्रांट मिली

** समय पर ग्रांट में मिला पैसा खर्च होने से स्कूलों में होगा सुधार 
** खर्च हुए पैसे की लोगों को भी मिलेगी जानकारी 
सरकारी स्कूलों को भवन निर्माण व दूसरे कामों के लिए कितनी-कितनी सरकारी ग्रांट मिली, ये बाहर मेन गेट के पास लगे बोर्ड में दर्ज होगी। ग्रांट के आने की तिथि से लेकर उसे खर्च करने की अवधि भी इस बोर्ड में दर्ज होगी। मकसद यही है कि हर आदमी को उसके गांव व शहर के स्कूल को मिली सहायता का रिकॉर्ड मालूम रहे। 
जो ग्रांट आने के बाद किसी कारण खर्च न होने पर लैप्स हो गई होगी, उसका भी इंद्राज इस बोर्ड में किया जाएगा। 
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार रजिस्टर में दर्ज ग्रांट के आंकड़ों को बदलने की आशंका रहती थी। जिस काम के लिए ग्रांट आई है, उस पर पैसा न खर्च करके प्राचार्य दूसरे काम पर खर्च करा देते रहे हैं। अगर कोई व्यक्ति स्कूल को मिली ग्रांट के बारे में जानना चाहता था तो उसे जानबूझकर टाल दिया जाता था। ताकि ग्रांट में की गई गड़बड़ी के बारे में किसी को पता न चल सके। स्कूल में विभिन्न स्थानों पर लगने वाले बोर्ड पर दर्ज आंकड़े बदले नहीं जाएंगे। 
सुचारू तौर पर स्कूलों में समय पर ग्रांट का पैसा लगने के कारण स्कूलों का विकास व शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा। ऐसे में बच्चों की संख्या भी बढ़ेगी। जिलेभर में 612 सरकारी स्कूल हैं। इनमें से सीनियर सेकेंडरी स्कूल 78, मिडिल स्कूल 76, हाई स्कूल 65 व प्राइमरी स्कूल 393 शामिल हैं। इनमें से कुछ स्कूलों की इमारतों की हालत दयनीय बनी हुई है। सभी स्कूलों में ग्रांट के ब्यौरे के बोर्ड लगेंगे। 
शिक्षा विभाग ने हर स्कूल में तीन बोर्ड लगाने के आदेश दिए, हेराफेरी की आशंका भी खत्म होगी 
मकसद : अध्यापकों व प्रबंधन समिति के टकराव को टालना 
इस तरह के बोर्ड लगाने के पीछे सरकार का मकसद यही है कि ग्रांट को लेकर स्कूल प्रबंधन समिति व अध्यापकों के बीच होने वाले तकरार को टाला जा सके। सरकारी स्कूलों में विभिन्न योजनाओं के तहत हर वर्ष लाखों रुपए की ग्रांट दी जाती है। कुछ स्कूल इन ग्रांट का सदुपयोग कर लेते हैं तो कुछ प्रयोग ही नहीं कर पाते। ऐसे में ग्रांट लैप्स हो जाती है। स्कूल प्रबंधक समितियां शिक्षा विभाग पर ग्रांट न देने और अध्यापकों पर उसे सही न खर्च करने का आरोप लगाती रहती हैं। जिस पर शिक्षा विभाग को हर बार बीच में आकर स्पष्टीकरण देना पड़ता है। अब सरकारी स्कूल में लगे बोर्ड पर ग्रांट का पूरा ब्यौरा दर्ज होगा। किस काम के लिए कितनी ग्रांट आई है। इस ग्रांट को कितने समय में खर्च किया जाना है। इस बारे में पूरा ब्यौरा बोर्ड पर दर्ज होगा। 
आदेश जारी किए गए हैं : शमशेर सिंह 
उप जिला शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने बताया कि सभी स्कूलों को नए शिक्षा सत्र में स्कूलों में बोर्ड लगाने के आदेश जारी किए गए हैं। कुछ स्कूलों में ग्रांट का सदुपयोग न होने की शिकायतें मिलती रहती थी। जिनका निपटारा करने के लिए शिक्षा अधिकारियों को मेहनत करनी पड़ती है। हर स्कूल में अब तीन-तीन सूचना बोर्ड लगाए जाएंगे। ऐसे में स्कूल को मिली ग्रांट का पूरा ब्यौरा तीनों बोर्ड पर दर्ज होगा। इस प्रकार किसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका भी नहीं रहेगी और वाद-विवाद से बचा जा सकेगा। 
ग्रांट के दुरुपयोग की शिकायत मोबाइल पर भी कर सकेंगे
सरकारी स्कूलों में लगने वाले बोर्ड पर स्कूल प्रबंधक समिति के सदस्यों, अध्यक्ष, स्कूल प्राचार्य और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मोबाइल नंबर दर्ज होंगे। ताकि कोई भी व्यक्ति स्कूल में हो रहे निर्माण कार्य में गड़बड़ी की आशंका के बारे में अधिकारियों को सूचित कर सकें। एक बोर्ड स्कूल के बाहर भी लगाया जाएगा ताकि गांव के लोगों को भी स्कूल में हो रहे विकास के कार्यों के बारे में जानकारी मिल सके। शिक्षा विभाग के अधिकारी समय-समय पर इन बोर्ड का निरीक्षण करके इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपेंगे।                                                                   dbktl

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