** ठेकेदार रामपाल पर करीब 65 लाख रुपये के गबन का आरोप
** आर्थिक अपराध शाखा ने आउटसोर्सिंग पर भर्ती का रिकॉर्ड खंगाला
सिरसा : सीडीएलयू के पीएफ घोटाले में अब विश्वविद्यालय खातों का ऑडिट करवा सकता है। आर्थिक अपराध शाखा ने पीएफ कमिश्नर जांलधर को भी खातों का ऑडिट करवाने के लिए कहा है।
आर्थिक अपराध शाखा की जांच टीम ने सोमवार को विश्वविद्यालय में वीसी कार्यालय में आकर आउटसोर्सिंग पर भर्ती पुराने कर्मचारियों का रिकॉर्ड भी खंगाला। अभी तक इस मामले में 436 में से 150 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। अपराध शाखा को कर्मचारियों को ढूंढने में भी परेशानी आ रही है। जानकारी के अनुसार केवल 202 कर्मचारी ही ऐसे हैं जिन्होंने तीन साल तक रेगुलर ठेकेदार के पास काम किया था। बाकी कर्मचारी दो या तीन महीने के बाद अपना काम बदल लेते थे। ऐसे में उन कर्मचारियों को यह भी नहीं पता कि उनका पीएफ जमा भी है या नहीं। उनका पूरा रिकॉर्ड भी कंपनी के पास नहीं है। इसलिए आर्थिक अपराध शाखा उन कर्मचारियों का सही अता पता जानने के लिए आउटसोर्सिंग के ही कर्मचारियों का सहयोग ले रही है।
ठेकेदार के पास करते हैं दस हजार कर्मचारी काम :
पीएफ कमिश्नर जांलधर के कार्यालय में रिकॉर्ड के अनुसार ठेकेदार की कंपनी में कई राज्यों के कुल दस हजार कर्मचारी काम करते हैं। ऐसे में इन सभी का पैसा उनके पास है। लेकिन सीडीएलयू में काम कर चुके कौन से कर्मचारी है, इसका रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
बता दें दे कि सीडीएलयू में 2007 से 2010 तक आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के ठेकेदार रामपाल पर करीब 65 लाख रुपये के गबन का आरोप है। ठेकेदार ने कर्मचारियों के खाते में पैसा जमा नहीं करवाया। सीडीएलयू ने ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। इसके बाद आर्थिक अपराध शाखा ने ठेकेदार को गिरफ्तार किया। ठेकेदार जेल में है।
"हम अपनी ओर से केस को पूरा मजबूत बना रहे हैं। करीब 150 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। जांच जारी है"--भरत सिंह, जांच अधिकारी आर्थिक अपराध शाखा। db
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