चंडीगढ़ : चुनावी समर में विजय पताका फहराने के लिए राजनीतिक दल एक-एक वोट पर नजरें गड़ाए हुए हैं। जातीय समीकरणों के साथ-साथ, महिला व युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। कर्मचारी मतदाता भी सभी पार्टियों की प्राथमिकता में हैं, उन्हें साधना मुश्किल साबित हो रहा है।
प्रदेश में लगभग पौने तीन लाख कर्मचारी मतदाता हैं। हर श्रेणी के कर्मचारियों की अपनी-अपनी मांगें हैं। काफी से कर्मचारी इन्हें पूरा कराने के लिए संघर्षरत हैं। कर्मचारी हालांकि कई गुटों में बंटे हुए हैं। ऐसे में जो राजनीतिक दल कर्मचारियों की कसौटी पर खरा उतरेगा, चुनाव में उसकी लाटरी लग सकती है। कर्मचारियों की मांगें पूरी कराने के लिए सभी गुटों की प्रदेश स्तरीय समिति हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी पहले ही राजनीतिक दलों से अपना रुख स्पष्ट करने की मांग कर चुकी है।
निजीकरण की नीतियां बंद करने का मिले आश्वासन :
हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के सदस्य धर्मबीर सिंह फौगाट, राजसिंह दहिया, अमर सिंह यादव, सुभाष लांबा व राजीव जौली का कहना है कि सरकारी विभागों में निजीकरण की नीतियां बंद करने की ओर राजनीतिक दलों का ध्यान नहीं है।
ये हैं कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
- दो वर्ष की सेवा पूरी कर चुके सभी प्रकार के पार्ट टाईम व कच्चे कर्मचारियों को बिना शर्त पक्का किया जाए
- पक्का होने तक नियमित कर्मचारियों के समान वेतनमान मिले
- ठेका प्रथा समाप्त कर ठेके पर लगे कर्मचारियांे को सीधा विभाग के मार्फत लगाया जाए
- केंद्रीय कर्मचारियों के समान ग्रेड-पे व भत्ते दिए जाएं
- रोडवेज के 3519 रूट परमिट को निजी हाथांे में देने का निर्णय रद हो dj
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