भिवानी : प्रदेश का शिक्षा बोर्ड भी गजब का है। वह आपको तब भी नंबर दे सकता है जब सही जवाब दें और गलत जवाब भी दें। लेकिन उसकी मर्जी हुई तो आपके सही उत्तर को भी गलत करार दे देगा। शहर के विद्यानगर में रहने वाले संदीप के साथ भी बोर्ड ने ऐसा ही किया और वह पिछले ढाई माह से बोर्ड के चक्कर लगा रहा है।
संदीप ने जूनियर बेसिक टीचर (जेबीटी) पात्रता परीक्षा दी थी। फरवरी में जब रिजल्ट आया तो संदीप को लगा कि शिक्षा बोर्ड ने दो सवालों के जबाव गलत दे रखे हैं। इस पर संदीप ने शिक्षा बोर्ड में तथ्यों व प्रमाण सहित अपना आपत्ति पत्र जमा करवा दिया। इसके दो माह बाद संदीप के पास जब शिक्षा बोर्ड की तरफ से जबाव आया तो वह चौक गया। बोर्ड ने एक ही प्रश्न के दो जबाव सही बताए गए थे।
वेबसाइट पर आंसर की देख लगाई आपत्ति:
20 फरवरी को शिक्षा बोर्ड ने अपनी बेवसाइट पर रिजल्ट के साथ आंसर की अपलोड कर दी। जब भी पात्रता परीक्षा का रिजल्ट आता है तो आंसर की इसलिए डाली जाती है ताकि अगर किसी विद्यार्थी को किसी प्रश्न में किसी प्रकार की आपत्ति है तो वह सात के अंदर अंदर तथ्य व प्रमाण सहित अपनी आपत्ति शिक्षा बोर्ड में दर्ज करवा सकते हैं।
संदीप का कोड डी था। जिसमें प्रश्न नंबर 105 व 137 पर संदीप को आपत्ति थी। उन्होंने प्रश्न नंबर 105 के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन सिंगापुर की थ्योरी व प्रश्न नंबर 137 के लिए द जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका की थ्योरी को प्रमाण सहित शिक्षा बोर्ड में जमा करवाया। शिक्षा बोर्ड ने प्रश्न नंबर 105 को तो सही मान लिया लेकिन 137 के पेश किए गए तथ्यों को झूठा बताया।
अजब-गजब
जेबीटी पात्रता परीक्षा में एक सवाल के ऑप्शन 4 'इनमें से कोई नहीं' को सही बता एक और जवाब के दिए नंबर
प्रश्न नंबर 137
अवलोकन, प्रयोग व..........विज्ञान की तीन विधियां हैं।
1. निगमन 2. परिकल्पना
3. मापन 4. अनुमान
बोर्ड के अनुसार इस प्रश्न का सही जबाव ऑप्शन नंबर एक यानि निगमन है। लेकिन संदीप ने इंटरनेट पर द जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका के डायरेक्टर ग्रे बी लिवाइस द्वारा लिखी गई बुक द नेचर ऑफ साइंस एंड द साइंटिफिक मैथड में परिकल्पना को सही बताया गया है। बोर्ड ने इस थ्योरी को गलत बताया है और निगमन को ही ठीक बताया है। संदीप ने बताया कि अगर उन्हें शिक्षा बोर्ड की तरफ से न्याय नहीं मिलता है तो वो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
प्रश्न नंबर 105
निम्नलिखित में से कौन सा गणित में निदानात्मक परीक्षण का उद्देश्य नहीं है।
1. बच्चों में अधिगम के दौरान कमियों व कमजोरियों का ज्ञात होना
2. बच्चों की प्रगति रिपोर्ट भरना
3. अभिभावकों को प्रति पुष्टि देना
4. इनमें से कोई नहीं
इंटरनेट से निकाली गई सिंगापुर की थ्योरी में साफ दर्शाया गया है कि निदानात्मक परीक्षण का मुख्य उद्देश्य ही अधिगम के दौरान कमियों व कमजोरियों का ज्ञात करना है। जबकि शिक्षा बोर्ड इसे परीक्षण का उद्देश्य नहीं मान रहा है। जिन पात्रता परीक्षार्थियों ने ऑप्शन नंबर एक पर बब्बल भरा था उनको शिक्षा बोर्ड ने सही दर्शा रखा है, लेकिन सिंगापुर थ्योरी के हिसाब से वो गलत है। संदीप द्वारा तथ्यों को जमा कराने के बाद शिक्षा बोर्ड ने फैसला दिया कि जिन पात्रता परीक्षार्थियों ने ऑप्शन नंबर एक व चार में बब्बल भरा है उन्हें एक-एक नंबर दे दिया जाए। अब जब ऑप्शन नंबर चार इनमें से कोई नहीं है तो ऑप्शन नंबर एक में बब्बल भरने वाले परीक्षार्थियों को शिक्षा बोर्ड कैसे नंबर दे सकता है।
"मेरे नोटिस में यह मामला आया हुआ है। इसकी छानबीन कराई जाएगी।"--जेएस गणेशन, बोर्ड सचिव db
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