हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) ने फिर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है। शिक्षा विभाग की नीतियों को टरकाऊ और शिक्षा विरोधी बताते हुए हसला ने 11 मई को जींद में राज्यस्तरीय बैठक बुलाई है। इसमें सरकार के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा बनाई जाएगी।
हसला के राज्य प्रधान दयानंद दलाल ने बताया कि शिक्षा विभाग स्कूल लेक्चररों से जुड़े हर मामले को ठंडे बस्ते में डाल रहा है। पिछले साल २८ नवंबर को प्रदेश सरकार की विशेष कमेटी ने हसला की लंबित मांगों को 15 दिन में पूरा करने का आश्वासन दिया था। आज पांच महीने बाद भी कमेटी ने कुछ नहीं किया। इससे स्कूल लेक्चररों में भारी रोष है।
दलाल ने कहा कि आचार संहिता का उल्लेख कर नियुक्तियों के मामलों को लटकाना शिक्षा विरोधी कदम है। सरकार व शिक्षा विभाग बच्चों को पढऩे का अधिकार देने का दावा तो करते है लेकिन उनकी नीतियां स्पष्ट नहीं है। यदि उच्च विद्यालयों का अस्तित्व बरकरार रखना है तो उनमें नवनियुक्त सभी पीजीटी को वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में एडजस्ट किया जाए। स्कूल प्राध्यापक किसी सूरत में मुख्याध्यापक के नीचे रहकर काम नहीं करेंगे। उन्होंने प्रदेशभर में नवनियुक्त पीजीटी प्राध्यापकों को डेपुटेशन पर भेजने पर भी एतराज जताया और कहा कि जब इन पदों को मेरिट के आधार पर काउंसिलिंग से भरा गया है, तो डेपुटेशन की जरूरत क्यों पड़ रही है।
दयानंद दलाल ने कहा कि हसला की पांच स्तरीय मांगों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए। साथ ही पीजीटी पदों की लंबित नियुक्तियों को तुरंत प्रभाव से बहाल किया जाए। दलाल ने चेतावनी दी कि यदि शिक्षा विभाग ने उनकी मांगों को जल्दी पूरा नहीं किया तो हसला की देखरेख में प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया जाएगा।
क्या है हसला की मांगें - वेतन विसंगति दूर करना।
- पदोन्नति अनुपात के हिसाब से करना।
- पदनाम बदलना। स्कूल लेक्चररों को कॉलेज कॉडर में प्रमोट करना। dbrtk
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