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Monday, 5 May 2014

अब अध्यापकों को भरनी होगी रोजाना की वर्किंग

** सरकारी स्कूलों में अच्छे परिणाम लाने के लिए शिक्षा निदेशालय ने शुरू की योजना
जिस तरह से छात्र होमवर्क लिखकर अपनी दैनन्दिनी में लिखकर घर ले जाते हैं। अब उसी प्रकार अध्यापकों को भी अपने प्रतिदिन का हिसाब लिखना होगा कि उन्होंने किस कक्षा को किस पीरियड में क्या पाठ पढ़ाया। यह सब सरकारी स्कूलों में अच्छे परिणाम लाने की कवायद शिक्षा निदेशालय ने की है। इससे पता चल जाएगा कि प्रतिदिन अध्यापक बच्चों को पढ़ाने में कितनी रुचि ले रहे हैं। 
पहली से आठवीं कक्षा तक के अध्यापकों को अध्यापक दैनिकी दी गई है। इसका उद्देश्य अध्यापकों द्वारा बच्चों को पढ़ाने वाले कार्य से है। दैनिकी में प्रतिदिन पढ़ाने का लेखा-जोखा लिखा जाने के कारण अध्यापक फरलो नहीं मार सकेंगे। अगर किसी अध्यापक ने अपनी दैनिकी में ठीक ढंग से काम नहीं लिखा तो उसके खिलाफ कार्रवाई तक हो सकती है। अध्यापकों की इस दैनिकी को शिक्षा विभाग के अधिकारी समय समय पर चेक करेंगे। 
साथ ही वे अध्यापक दैनिकी और बच्चों के होमवर्क का मिलान भी करेंगे ताकि पता चल सके कि अध्यापक ने बच्चों को क्या पढ़ाया और अध्यापक ने अपनी दैनिकी में क्या लिखा है। इसके अलावा बच्चों को ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में पेड़ पौधे लगाना, दैनिक अखबार पढऩा, चार्ट बनाना तथा शिक्षा एवं इतिहास से संबंधित लेखन का काम भी दिया जाएगा। 
यह लिखना होगा दैनिकी में: 
दैनिक पाठ योजना के तहत प्रत्येक अध्यापक को पहले पीरियड में क्या पढ़ाया और किस विषय का पीरियड था, वह भी लिखना होगा। इसके साथ साथ अध्यापक को यह भी बताना जरूरी है कि उसने किस विषय का पाठ बच्चों को पढ़ाया है। बच्चों को होम वर्क क्या दिया यह सब कुछ अपनी दैनिकी में लिखना होगा। इस दैनिकी को प्रतिदिन स्कूल का मुख्य अध्यापक या फिर प्रिंसिपल चेक करेंगे। 
सतत एवं व्यापक (सीसीई) मूल्यांकन होगा 
सतत एवं व्यापक (सीसीई) मूल्यांकन पर आधारित छात्र प्रदर्शन का रिकार्ड भी रखना होगा। इसमें बच्चे की पढ़ाई के लिए उसने किस प्रोजेक्ट में रुचि ली, दर्शाना होगा ताकि पता चल सके कि अभिरुचि किस तरफ है। इसमें किस बच्चे ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भाग लिया तथा उसका विज्ञान एवं वातारण क्या है तथा उसकी रचनात्म सोच के बारे में स्पष्ट तौर पर लिखा जाएगा ताकि जब बच्चों के अभिभावक स्कूल में अपने बच्चों के बारे में पूछने आएं तो उन्हें पूरी तरह से बच्चे के बारे में बताया जा सके। 
अब होगी मासिक परीक्षा: 
अभी तक अध्यापकों को मर्जी होती थी कि वह छात्रों की मासिक परीक्षा लें या न लें, लेकिन कक्षा तत्परता कार्यक्रम के तहत पब्लिक स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों में भी बच्चों की मासिक परीक्षा लेनी होगी। इस परीक्षा का मूल्यांकन भी अध्यापकों को अपनी दैनिकी के माध्यम से बताना होगा। बच्चे ने कितने प्रतिशत अंक हासिल किए हैं तथा उसकी कक्षा में क्या रैंक मिला है। 
समन्वय के लिए मददगार 
"अध्यापक दैनिकी एक ऐसे औजार के रूप में अध्यापकों को सौंपी गई है जो अपनी दैनिक शैक्षणिक रूपरेखा बनाने तथा पठन-पाठन में समन्वय स्थापित करने में मददगार साबित होगी। अध्यापक इसके प्रत्येक पन्ने का उपयोग अपनी कार्यकुशलता बढ़ाने एवं शैक्षणिक समय काल को संयोजित करने में करेंगे।"--सुधीर कालड़ा, बीईओ, अम्बाला।                                  dbambl


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