शिक्षा विभाग में अब एसीआर के मायने बदल गए हैं। गोपनीय समझी जाने वाली कर्मचारी, अधिकारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) नई व्यवस्था में गोपनीय नहीं रहेगी बल्कि संबंधित व्यक्ति अपनी परफार्मेस का दावा खुद पेश करेगा। आत्म मूल्यांकन करते हुए उन्हें बताना होगा कि शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए कितना काम किया। इस सिस्टम को एनुअल परफार्मेस अपरेजल रिपोर्ट (एपीएआर) का नाम दिया गया है।
आत्म मूल्यांकन की इस पद्धति को शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े सुधार के रूप में देखा जा रहा है। इस प्रणाली को धरातल पर लागू करने के लिए बृहस्पतिवार को उच्चतर शिक्षा विभाग की अतिरिक्त निदेशक सुमेधा कटारिया ने पांच जिलों के बीईओ व बीईईओ की कार्यशाला लगाई। अब ये अधिकारी आगे प्रिंसिपल, हेड मास्टर व प्राथमिक स्कूलों के मुखिया को नई प्रणाली से अवगत कराएंगे। यह कार्य 15 तक संपन्न किया जाना है। महकमे के अंतर्गत कर्मचारियों, शिक्षकों व अधिकारियों द्वारा 4 जुलाई तक एपीएआर भरी जानी तय हुई है।
एसीआर को वरिष्ठ अधिकारी भरता था। जिस कर्मचारी व अधिकारी की एसीआर भरी जाती थी उससे केवल वस्तुनिष्ठ प्रश्न ही पूछे जाते थे लेकिन एसीआर दिखाई नहीं जाती थी। एपीएआर में संबंधित व्यक्ति को अपनी परफार्मेस का दावा पेश करना होगा। इसके बाद रिपोर्टिग ऑफिसर अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए और संस्था व विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास में उनके योगदान के मद्देनजर इस पर ग्रेडिंग अंक तय करेगा। उत्कृष्ट परफार्मेस को ‘ए’ दिया जाएगा। इसके लिए 81 से 100 के बीच की परफार्मेस को आधार माना जाएगा। 61 से 80 अंक लेने वाले को बहुत अच्छा यानी ‘ए’ और 41 से 60 के बीच अंक हासिल करने वाले को ‘बी’ ग्रेड मिलेगा। 21 से 40 के बीच की परफार्मेस को ‘बी’ ग्रेड और 0 से 20 अंक हासिल करने वाले को ‘सी’ ग्रेड मिलेगा। इन अंकों एवं ग्रेड के आधार पर ही कर्मचारी की पदोन्नति तय होगी। इस प्रणाली में ख्याल रखा गया है कि कोई अधिकारी जानबूझ कर गलत रिपोर्ट न करे। सीनियर अधिकारी रिव्यू कर एक ग्रेड बदल भी सकता है। djambl
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