राजौंद : शिक्षा का नया सत्र शुरू हुए डेढ़ महीना बीतने को है, परंतु क्षेत्र के अधिकतर सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की हाजिरी अभी तक भी काफी कम दिखाई दे रही है। कई स्कूलों में तो केवल गिने-चुने ही विद्यार्थी पहुंच रहे हैं। इस तरह बच्चों पर यह कहावत ठीक बैठती है कि स्कूल खाली अध्यापक ठाली।
अध्यापक स्कूलों में बराबर पहुंच रहे हैं, परंतु बच्चे अभी तक भी स्कूलों में पूरी संख्या में पहुंचने शुरू नहीं हुए। क्षेत्र के कई स्कूलों में तो आज तक भी हाजिरी शून्य देखी जा रही है। जबकि निजी स्कूलों में विद्यार्थियों की हाजिरी में कोई फर्क दिखाई नहीं दे रहा। सरकारी स्कूलों में बच्चे कम होने के कारण अध्यापक भी मन मसोर कर छुट्टी होने के बाद घर लौट आते हैं। दूसरा गेहूं का सीजन भी लगभग खत्म होने को है, परंतु सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों की हाजिरी में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है। अपै्रल का पूरा माह ऐसे ही बीत गया। कई स्कूलों की कक्षाओं में तो केवल दर्जन-दर्जन ही विद्यार्थी आ रहे हैं। ऐसे में कम विद्यार्थियों को पढ़ाने में अध्यापक भी हिचकिचाते हैं। db
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