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Wednesday, 7 May 2014

सरकारी स्कूलों में नहीं मास्टर जी

** बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित, रिजल्ट पर भी पड़ रहा बुरा असर
समालखा : सरकार प्रदेश को शिक्षा का हब बता रही है। वहीं शिक्षा के इस हब के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। जिस कारण न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि रिजल्ट पर भी बुरा असर पड़ रहा है। शहर के भापरा रोड स्थित मॉडल सीनियर सेकेंडरी में बॉयोलाजी, अंग्रेजी, गणित, हिंदी, इकनॉमिक्स, केमिस्ट्री आदि के शिक्षकों की कमी से विद्यार्थी व उनके अभिभावक परेशान हैं। 
स्कूल के छात्र-छात्राओं ने प्रिंसिपल से मिलकर शिक्षकों की इस कमी को दूर कराने की मांग की, ताकि वो अच्छे से पढ़ाई कर सके। वहीं प्रिंसिपल की मानें तो विद्यालय में शिक्षकों की कमी से अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। भापरा रोड स्थित सीनियर सेकेंडरी स्कूल क्षेत्र का एकमात्र मॉडल स्कूल है। जिसमें छठी से आठवीं तक साढ़े चार सौ, नौंवी व दसवीं के ढाई सौ व ग्यारहवीं से लेकर बारहवीं तक के करीब एक हजार बच्चे शिक्षा के लिए पहुंचते हैं। स्कूल में नान मेडिकल, आट्र्स, कॉमर्स, केमिस्ट्री, इकनॉमिक्स आदि की कक्षाएं हैं, लेकिन पिछले साल से स्कूल शिक्षकों की कमी झेल रहा है और खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। 
किस-किस की कमी 
स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से देखें तो विद्यालय में सात से आठ शिक्षकों की कमी है। प्रिंसिपल राजबीर धीमान ने बताया कि इंग्लिश, केमिस्ट्री, इकनॉमिक्स, हिंदी के एक-एक लेक्चरर, गणित का एक अध्यापक और एक लेक्चरर व एक डीपी की जरूरत है। उक्त पद खाली होने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। 
बायोलॉजी का भी बुरा हाल: 
मॉडल स्कूल में किसी न किसी विषय में शिक्षकों की कमी है, लेकिन बायोलॉजी का सबसे बुरा हाल है। वर्ष 2012 में बायोलॉजी की लेक्चरर सेवानिवृत्त हो गई थी। उसके बाद से किसी लेक्चरर की स्कूल में नियुक्ति नहीं हुई। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। इसको लेकर किसी तरह से काम चलाया गया। वहीं अबकी बार तो काम भी चलता नहीं दिखाई दे रहा है। इस विषय में दस व बारहवीं से डेढ़ सौ के करीब छात्र छात्रा है।                                                                  db

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