गुहला चीका : कभी समाज से जुड़ा कोई सर्वे तो कभी कोई आंकड़े जुटाने की जिम्मेवारी। कभी शिक्षा सेतु बांटने का झंझट तो कभी स्कूल में चलने वाले निर्माण कार्यों का भार। ऊपर से हर रोज बनने वाले मिड-डे-मील को बनवाने से लेकर दाल-चावल के स्टॉक की सिर खपाऊ कागजी कार्रवाई। आए दिन आने वाले सरकारी आदेशों के चलते अपना ज्यादातर समय गैर शैक्षणिक कार्यों में खपाने वाले अध्यापकों को अब शिक्षा विभाग की अवलोकन परीक्षा बुरी तरह खटक रही है। इस परीक्षा के खुले बहिष्कार का ऐलान करते हुए मास्टर जी ने शिक्षा विभाग से सीधा सवाल पूछा है कि इधर-उधर ही दौड़ाते रहोगे या पढ़ाने का समय भी दोगे?
हरियाणा कर्मचारी महासंघ से जुड़े हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेशभर के अध्यापक शिक्षा विभाग के बेतुके फरमानों से बुरी तरह आजिज आ चुके हैं। इसलिए संघ की प्रदेश कार्यकारिणी ने यह फैसला लिया है कि चाहे कुछ हो जाए, अध्यापक शिक्षा विभाग की यह अवलोकन परीक्षा नहीं देंगे। उन्होंने बताया कि यदि अध्यापक इस परीक्षा की तैयारी में लग जाएंगे तो बच्चों को कौन पढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि इस सारी कवायद से आखिर वह साबित क्या करना चाहती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के निजीकरण के लिए सरकार यह सारा कुछ कर रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने संगठन की तरफ से मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, प्रधान शिक्षा सचिव सुरीना राजन, महानिदेशक स्कूल शिक्षा, मौलिक शिक्षा निदेशक को इस परीक्षा को बंद करने का पत्र लिखकर विरोध जता दिया है। यदि फिर भी सरकार नहीं मानी तो इस परीक्षा का पूर्णत: बहिष्कार किया जायेगा। dt
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