करनाल : शिक्षकों की कमी की वजह से सरकारी विद्यालयों में गिरते शिक्षा के स्तर को लेकर खासा हो-हल्ला मचता रहता है, लेकिन अधिकारियों की कमी से शिक्षा व शिक्षकों पर पड़ रहे असर की ओर किसी का ध्यान नहीं दिया है। प्रदेश में जिला स्तर के 100 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। सबसे ज्यादा पद खंड शिक्षा अधिकारी के 63 रिक्त हैं। ऐसे में खंड शिक्षा विभाग की गतिविधियों पर असर पड़ रहा है तो साथ ही विद्यालयों व शिक्षकों से संबंधित समस्याओं का समाधान भी मुश्किल से हो पा रहा है।
सूचना के अधिकार के तहत यह खुलासा हुआ है। जुंडला कस्बे के मोहिंद्र सिंह ने शिक्षा अधिकारियों के स्वीकृत पद व भरे हुए पदों को लेकर सेकेंडरी शिक्षा विभाग के निदेशक से सूचना मांगी थी। उन्हें 26 अप्रैल को सूचना मुहैया करवाई गई। इससे पता चला कि प्रदेश में 21 जिला शिक्षा अधिकारी के पद स्वीकृत है, जबकि 19 पद भरे हुए और दो रिक्त हैं। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के सभी 21 पद भरे हुए हैं। प्राचार्य डाइट के 17 स्वीकृत हैं और 16 भरे हुए हैं। जबकि महज एक पद ही रिक्त है। उप जिला शिक्षा अधिकारी के 61 पद स्वीकृत हैं और 56 पद भरे हुए हैं। जबकि 19 पद रिक्त हैं। खंड शिक्षा अधिकारी के 119 पद स्वीकृत हैं, जबकि महज 46 पदों पर ही यह अधिकारी नियुक्त हैं। 63 पद रिक्त हैं। खंड मौलिक शिक्षा के अधिकारी के 119 पद स्वीकृत हैं और 94 पद भरे हुए हैं। 15 पद रिक्त हैं। जिला शिक्षा विभाग के तहत आने वाले इन अधिकारियों के पद रिक्त होने से स्कूलों से संबंधित समस्याएं लंबित पड़ी हैं तो शिक्षकों की समस्याओं का समाधान भी समय पर नहीं हो रहा है।
आरटीआइ कार्यकर्ता मोहिंद्र सिंह व हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के पूर्व सचिव कृष्ण कुमार निर्माण का कहना है कि सरकार स्कूली शिक्षा ढांचे को लेकर कतई गंभीर नहीं है। हजारों शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सरकारी विद्यालयों के सामने अधिकारियों के रिक्त पद होने से समस्या और गहरा जाती है। dj
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