नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में चार वर्षीय स्नातक कोर्स के चौतरफा विरोध को देखते हुए आशा जताई जा रही थी कि विवि प्रशासन जल्द ही इस कोर्स के रिव्यू के लिए एकेडमिक काउंसिल (एसी) की बैठक बुलाएगा। डीयू प्रशासन की ओर से 21 जून को एसी की बैठक बुलाई भी गई है, लेकिन यह चार वर्षीय कोर्स के रिव्यू के लिए नहीं, बल्कि फोर ईयर अंडर ग्रेजुएट के तहत नए कोर्सेज का सिलेबस पास करने के लिए बुलाई गई है। इस बारे में डीयू के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि वह फोर ईयर के एजेंडे पर कोई बात नहीं करेंगे। अभी मीटिंग 21 जून को है। जब मीटिंग हो जाएगी तो सबकुछ सामने आ जाएगा। इसके अलावा जो भी सवाल डीयू प्रशासन को लेकर खड़े हो रहे हैं, सबकी अपनी-अपनी सोच है। क्योंकि विवि की ओर से जो भी निर्णय लिए जा रहे हैं वह छात्रहितों में लिए जा रहे हैं। इस बारे में डीयू कुलपति से संपर्क किया गया और एसएमएस भी किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
डीयू शिक्षक संघ ने भी किया विरोध
डूटा अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण ने कहा कि कुलपति और उनकी टीम को तुरंत हटाकर जांच बिठाई जाए। इसमें यूनिवर्सिटी एक्ट का ही उल्लंघन नहीं हुआ, बल्कि डीयू के विजिटर राष्ट्रपति के अधिकारों का भी उल्लंघन किया गया। डीयू प्रशासन छात्रों को गैर-मान्यता प्राप्त डिग्री कोर्स पढ़ा रहा है। यूजीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर डीयू फोर ईयर कोर्स का रिव्यू को कहा, क्योंकि यह गैर-संवैधानिक है। बावजूद इसके 21 जून को होने वाली एसी मीटिंग के एजेंडे में यह शामिल ही नहीं किया गया।
60 हजार छात्रों का भविष्य अधर में : डीयू कोर्ट मेंबर
डीयू के कोर्ट मेंबर वीके अग्रवाल ने एमएचआरडी के सचिव अशोक ठाकुर के बयान के बाद फोर ईयर कोर्स की डिग्री पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि जब एमएचआरडी को ही फोर ईयर कोर्स लागू होने की जानकारी नहीं है तो विजिटर के पास फोर ईयर कोर्स के ऑर्डिनेंस पास होने के लिए नहीं गए। 60 हजार छात्रों का भविष्य अधर में है। वीके अग्रवाल ने मांग की कि डीयू के वीसी, यूजीसी चेयरमैन और एमएचआरडी सचिव के विरुद्ध जांच कमेटी बिठाई जाए और जांच पूरी होने तक इन सभी को छुट्टी पर भेजा जाए। db
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