चंडीगढ़ : प्रदेश के सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों का गुबार किसी भी समय फूट सकता है। वर्षो से लंबित मांगें पूरी न होने पर गुस्साए कर्मियों ने मंगलवार को सर्व कर्मचारी संघ के बैनर तले प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया। भीषण गर्मी के बावजूद कर्मचारी अपना हक पाने के लिए सड़कों पर डटे रहे। प्रदर्शन के बाद 58 विधायकों और 4 सांसदों को ज्ञापन दिए गए। बाकी बचे विधायकों एवं सांसदों को बुधवार को मांगों के ज्ञापन दिए जाएंगे।
सर्व कर्मचारी संघ ने प्रदेश सरकार को 28 जून तक का समय दिया है। अगर इस अवधि में कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो संघ प्रदेश स्तरीय सम्मेलन कर निर्णायक आंदोलन का ऐलान कर देगा। सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान धर्मबीर फौगाट, महासचिव सुभाष लांबा व वरिष्ठ उप प्रधान सरबत सिंह पूनिया ने कहा कि मंगलवार को रोष प्रदर्शन सफल रहा है। सरकार कर्मचारियों के सब्र का इम्तिहान न ले। 15 जून को केबिनेट ने 31 दिसंबर 2018 को 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले उन कर्मचारियों, जिनकी नियुक्ति स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध हुई है को पक्का करने का निर्णय लिया है, जो काल्पनिक ज्यादा, व्यवहारिक कम है।
उन्होंने कहा कि सरकार को मामला अगली सरकार पर छोड़ने की बजाय अभी निर्णय करना चाहिए। उन्होंने दो वर्ष की सेवा पूरी कर चुके सभी पार्ट टाईम, डेली वेज, डीसी रेट, अनुबंध व तदर्थ आधार पर लगे कर्मचारियों को पक्का करने की मांग की है। साथ ही इस पॉलिसी में एनआरएचएम व बिजली सहित अन्य विभागों में ठेकेदारों के मार्फत लगे कर्मचारियों को भी शामिल करने का मुद्दा उठाया है।
सुभाष लांबा ने कहा कि जब तक मिनिस्ट्रीयल स्टाफ को पंजाब के समान वेतनमान, राज्य कर्मियों को कैशलेस मेडिकल सुविधा एवं केंद्र के समान ग्रेड-पे व भत्ते देकर वेतन विसंगतियां दूर नहीं की जाती, प्रदेश में कर्मचारियों का आंदोलन जारी रहेगा। dj
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