रोहतक : विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार ने कई लुभावने फैसले लिए लेकिन कर्मचारियों का रोष है कि थम नहीं रहा। अब प्रदेश के 204 अनुदान प्राप्त स्कूलों के रेगुलर स्टाफ ने 7 जून से सड़कों पर उतरने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 10 नवंबर को गोहाना रैली में इस स्टाफ को सरकारी स्कूलों में समायोजित करने की घोषणा की थी। जो आज तक पूरी नहीं हुई है। बुधवार को हरियाणा प्रांत अध्यापक संघ के बैनर तले हुई बैठक में प्रांतीय अध्यक्ष रामभज ने कहा कि 6 जून को एक बार फिर मुख्यमंत्री से समायोजन करने को लेकर मिलेंगे।
रामभज ने कहा कि सरकार अपने वादे से मुकर रही है।पहले तो मुख्यमंत्री ने समायोजन की घोषणा कर दी लेकिन अब जब फाइल पूरी होकर निदेशालय पहुंची, तो सरकार ने मना कर दिया। वर्तमान में अनुदान प्राप्त स्कूलों में 1700 शिक्षक व 500 से ज्यादा गैर शिक्षक कर्मचारी हैं।सरकार अनुदान प्राप्त स्कूलों को 75 प्रतिशत सेलरी ग्रांट देती है, जिस पर करीब 95 करोड़ रुपए खर्च आता है जबकि समायोजन होने के बाद सरकार को 132 करोड़ रुपए ही खर्च करना होगा। हालांकि सरकारी विद्यालयों में अध्यापकों की चल रही कमी काफी हद तक पूरी हो जाएगी, लेकिन सरकार ऐसा नहीं करने दे रही है।
सीएम ने बच्चों का तर्क देकर किया मना :
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ 29 मई को सीएम हाउस चंडीगढ़ में हरियाणा प्रांत अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामभज व कार्यकारिणी के सदस्य रमेश बंसल, रामकुमार गर्ग, जयप्रकाश मलिक व संरक्षक पृथ्वीराज सिंह के साथ बैठक हुई। इसमें सीएम ने बच्चों के भविष्य का तर्क देते हुए उन्हें सरकारी स्कूलों में समायोजित करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि समायोजन के बाद स्कूल प्राइवेट हो जाएंगे और उनसे विद्यालय अधिक फीस वसूलेंगे। तब यह विद्यार्थी कहां पढऩे जाएंगे। संघ के अध्यक्ष ने सीएम को भी यह तर्क दिया कि सभी बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिया जाएगा, लेकिन सीएम ने यह तर्क न मानते हुए समायोजन करने से मना कर दिया। db
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