भिवानी : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की दरियादिली से करीब 50 हजार परीक्षार्थियों की किस्मत बदल गई। नियम तोड़ कर दी गई ग्रेस की वजह से इन 50 हजार परीक्षार्थियों का रिजल्ट फेल से पास हो गया। रिजल्ट माडरेशन के नाम पर दी गई ग्रेस को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
दसवीं और बारहवीं कक्षा के असली रिजल्ट और घोषित रिजल्ट में जमीन आसमान का फर्क है। शिक्षा बोर्ड के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बोर्ड प्रशासन ने रिजल्ट घोषित होने से कुछ घंटे पहले ग्रेस मार्क्स को डबल कर दिया। कायदे से कुल अंकों का एक फीसदी ग्रेस अंक दिए जाते हैं। दसवीं में यह छह और 12वीं में पांच अंक तक ग्रेस दिए जाने का प्रावधान है। ग्रेस उस सूरत में दी जाती है, जब बच्चे का रिजल्ट फेल से पास होता हो, अन्यथा ग्रेस अंक नहीं दिए जाते।
बोर्ड ने वाहवाही लूटने और खुशनुमा तसवीर पेश करने के फेर में ग्रेस अंक एक प्रतिशत से बढ़ाकर दो तक कर दिए। यानी, लगभग 12 अंक अर्जित अंकों में और जुड़ गए। इससे बारहवीं के 27-28 हजार बच्चों का रिजल्ट फेल से पास हो गया। दसवीं में 25 हजार से ज्यादा फेल परीक्षार्थी पास हो गए। अटपटी बात यह है कि बोर्ड ने उन बच्चों पर मेहरबानी नहीं दिखाई, जिनका रिजल्ट पास है।
दसवीं और बारहवीं कक्षा के कल पांच जून को घोषित नतीजों से पहले जिस तरीके से शिक्षा बोर्ड ने परीक्षार्थियों को ग्रेस देकर पास किया है, इस पर सुगबुगाहट तेज हो गई है। शिक्षा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन डॉ. राजाराम का मानना है कि ग्रेस देकर पास सर्टिफिकेट की कोई अहमियत नहीं है।
उनके कार्यकाल के दौरान रिजल्ट कमजोर आने की बात को राजनीतिक लोग पचा नहीं पाए थे। इन लोगों ने रिजल्ट रिवाइज का दबाव बनाया गया था। au
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