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Thursday, 2 April 2015

हरियाणा के सरकारी विभागों में डेढ़ लाख कर्मियों की कमी

** भर्ती शुरू नहीं होने और रिटायरमेंट आयु घटने से बने ऐसे हालात
चंडीगढ़ : हरियाणा के सरकारी विभागों में कर्मचारियों की भारी कमी बनी हुई है। हर साल सैकड़ों कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, लेकिन उनके स्थान पर नई भर्ती नहीं की जा रही है। कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु घटाने से हालात अधिक चिंताजनक बन गए हैं। इससे न केवल कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया, बल्कि उनकी काम करने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है। 
प्रदेश में 31 मार्च को करीब 1600 कर्मचारी रिटायर हुए हैं। रिटायरमेंट की आयु 60 साल से घटाकर 58 साल करने के फैसले के बाद अक्टूबर से दिसंबर 2014 के बीच 5700 कर्मचारी रिटायर हुए थे। पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट में चुनौती समेत कई तरह के विवादों की वजह से 15 हजार भर्तियां अभी लंबित हैं। हर साल कर्मचारियों की रिटायरमेंट तो हो रही है, लेकिन नई भर्ती प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। 
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग का गठन हो जाने के बावजूद अभी तक भर्ती प्रक्रिया को लेकर रुख साफ नहीं किया गया है। पिछली हुड्डा सरकार ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव की वजह से रिक्तियां तो खूब निकाली, लेकिन चुनाव आचार संहिता की आड़ में न तो नई भर्तियां की गई और न ही लंबित रिजल्ट घोषित किए गए। नई मनोहर सरकार ने पिछली पूरी भर्ती प्रक्रिया ही रद कर दी, जिस कारण करीब 40 हजार अभ्यर्थियों को अब नए सिरे से अपनी क्षमता साबित करनी पड़ेगी। प्रदेश में करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। इस समय 2.90 लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं। राज्य सरकार का कोई विभाग ऐसा नहीं है, जिसमें कर्मचारियों की कमी नहीं है। सबसे अधिक कमी शिक्षा विभाग, बिजली, पुलिस, पीडब्ल्यूडी और सिंचाई विभाग में है। शिक्षा विभाग में करीब 40 हजार और बिजली विभाग में 30 हजार कर्मचारियों की कमी है।
आयोग बन गया, जल्द शुरू होगी भर्ती 
"हरियाणा सरकार ने कर्मचारी चयन आयोग का गठन कर दिया है। चेयरमैन और सदस्य बना दिए गए हैं। उन्होंने कामकाज संभाल लिया। पूरा आकलन किया जा रहा है। रिव्यू पूरा हो जाने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।"-- प्रो. रामबिलास शर्मा, संसदीय कार्य एवं शिक्षा मंत्री, हरियाणा। 
नियमित भर्ती से पहले कांट्रेक्ट पर रखें कर्मचारी 
"हमने मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में यह मुद्दा उठाया था। दरअसल, रिटायरमेंट आयु 60 साल से घटाकर 58 साल कर दिए जाने से दिक्कत अधिक बढ़ी है। अगले एक साल तक भी भर्तियां होने की कोई संभावना नहीं है। जब तक नियमित भर्ती नहीं होती, तब सीधे कांट्रेक्ट आधार पर भर्ती की जाए और नियमित भर्ती में ऐसे कर्मचारियों को वरीयता मिले। सरकार कर्मचारियों को वेतन नहीं देना चाहती। बचत के चक्कर में कामकाज प्रभावित हो रहा है। एक कर्मचारी दो का काम कर रहा है। ऊपर से कार्यालयों में बायोमीटिक मशीन लगवा दी गई। इसका नुकसान यह होगा कि कर्मचारी ड्यूटी टाइम पूरा होते ही दफ्तरों से निकल जाएंगे। उन्हें ओवरटाइम नहीं मिलता। सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए।"-- सुभाष लांबा, महासचिव, सर्व कर्मचारी संघ                                                       dj

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