** कोर्ट की टिप्पणी, अयोग्य पढ़ा रहे हैं तो कैसे मिलेगी क्वालिटी एजूकेशन
** अखबारों में छपवानी होगी हटाए जाने वाले टीचरों की लिस्ट
** अखबारों में छपवानी होगी हटाए जाने वाले टीचरों की लिस्ट
चंडीगढ़, पानीपत : राहत की उम्मीद में बैठे गेस्ट टीचरों के साथ ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को भी झटका दिया। सोमवार को केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा, सरकारी स्कूलों में लगे 4,073 सरप्लस गेस्ट टीचरों को नौकरी से बाहर क्यों नहीं किया जा रहा? सुनवाई के दौरान सामने आया कि जो टीचर दसवीं कक्षा तक पढ़ाने के योग्य हैं, वे बारहवीं को भी पढ़ा रहे हैं। इस पर जस्टिस अमित रावल ने टिप्पणी की, 'क्वालिटी एजुकेशन की बात की जा रही है। दसवीं को पढ़ाने वाले बारहवीं को पढ़ाएंगे, तो किस तरह देश को क्वालिटी एजुकेशन वाले युवा मिलेंगे।'
कोर्ट ने मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को कहा कि सरप्लस गेस्ट टीचरों को नौकरी से हटाने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। दोनों अधिकारियों की तरफ से माफी मांगने के बाद हाईकोर्ट ने 27 मई तक का समय दिया। कोर्ट ने निर्देश दिए कि सभी टीचरों का रिकॉर्ड तैयार कर नोटिस जारी किए जाएं। साथ ही उनकी सेवाएं समाप्त की जाएं। केस की सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस रावल ने सरकार से गेस्ट टीचरों को हटाए जाने पर जवाब मांगा। हाईकोर्ट ने कहा कि दो बार निर्देश देने के बावजूद टीचरों को नौकरी से बाहर क्यों नहीं किया गया। इससे ऐसा लग रहा है कि हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी की जा रही है। इस पर सरकार की तरफ से कहा गया कि वे इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं और रेगुलर शिक्षकों की भर्ती के साथ ही गेस्ट टीचरों को हटा दिया जाएगा।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि दो सप्ताह के भीतर हरियाणा के मुख्य सचिव इन सरप्लस गेस्ट टीचरों को नौकरी से हटाएं। जल्द समाचार पत्रों में यह जानकारी दें कि किन सरप्लस टीचरों को नौकरी से हटाया जा रहा है। इन टीचरों से जवाब मांगा जाए और इसके बाद दो सप्ताह के भीतर इनकी सेवाएं समाप्त की जाएं। कोर्ट ने 27 मई के लिए सुनवाई तय करते हुए मामले पर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।
गेस्ट टीचरों को रेगुलर करे भाजपा सरकार : हुडा
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिं हुडा ने कहा कि जब हमारी सरकार थी तो गेस्ट टीचरों को भाजपा वाले कहते थे कि सत्ता में आने दो पहली कलम से पक्का कर दिया जाएगा। अब पक्का क्यों नहीं किया जा रहा। भाजपा को इन्हें रेगुलर करना चाहिए।
इधर, दुविधा में सरकार
हाईकोर्ट के सख्त रुख से खट्टर सरकार दुविधा में है। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री गेस्ट टीचरों को आश्वासन दे चुके हैं कि उनकी नौकरी बचाने के प्रयास होंगे।
गेस्ट टीचरों के आंदोलन के विपक्ष भी समर्थन दे रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने ट्विटर हैंडल पर कहा कि सीएम को मामला सुलझाने के लिए मध्यस्थता करनी चाहिए।
सरकार का तर्क
नौ हजार जेबीटी की भर्ती प्रक्रिया अभी लंबित है, क्योंकि पात्रता परीक्षा के सर्टिफिकेट पर अंगूठे के निशान और हस्ताक्षरों के मिलान की प्रक्रिया चल रही है।
हाईकोर्ट ने कहा
सरकार ने कहा था कि 322 दिन के भीतर नियमित भर्ती कर सभी गेस्ट टीचरों को हटा दिया जाएगा। लेकिन 500 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। क्या यह कोर्ट की अवमानना नहीं।
कहीं नहीं जाएंगे पक्का होने तक : शास्त्री
करनाल में चार दिन से डेरा डाले बैठे गेस्ट टीचरों के चेहरे पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पमी से निराशा दिखी। हालांकि, अतिथि अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शास्त्री ने कहा कि अब करो या मरो वाली स्थिति है। जब तक नियमित नहीं होंगे, गेस्ट टीचर यहां से नहीं हिलेंगे। अब इस आंदोलन को जन आंदोलन में बदला जाएगा। सरकार के रवैये को देखकर आंदोलन को आक्रामक रूप दिया जाएगा। db
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