हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की ओर से कक्षा दसवीं एवं 12वीं का परिणाम घोषित किया जा चुका है। खराब परीक्षा परिणाम पर राजनीतिक बयान बाजी भी जारी है, लेकिन बच्चों को शिक्षित करने वाले शिक्षक की वेदना अभी भी दूर नहीं की जा सकी है। गैर शैक्षणिक कार्य को लेकर शिक्षक वर्ग फिर से आहत हुआ। शिक्षक वर्ग का कहना है कि जब उन्हें अन्य कार्यों को लेकर परेशान किया जाता रहेगा तो वे बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार कैसे होंगे। बीएलओ ड्यूटी को लेकर शिक्षक वर्ग पहले से ही परेशान है अब शिक्षकों को एक नए कार्य की और जिम्मेदारी सौंप दी गई है। जिसके अंतर्गत शिक्षक को एमआईएस फार्म भरना है, जिसमें 80 प्रकार की जानकारी भरी जानी हैं। शिक्षकों के मुताबिक इस कार्य में पूरा मई माह लग जाएगा।
पढ़ाई को लेकर कुछ इस प्रकार रहेगी स्थिति:
शुरुआती महीना दाखिले में निकल गया अौर अब यह माह इस प्रकार के सर्वे में। ऐसे में बच्चों को शिक्षित करने के लिए शिक्षकों के पास समय ही कितना बचेगा। इसके बाद गर्मी की छुट्टियां शुरू हो जाएंगी और उसके बाद पहले सेमेस्टर की तैयारी। विद्यार्थी के साथ शिक्षकों की हालत भी खराब होगी क्योंकि अब शिक्षकों से भी उनका रिपोर्ट कार्ड पूछा जाता है।
"मौजूदा परीक्षा परिणाम को लेकर हमारी शिक्षा व्यवस्था दोषी है। शिक्षकों से सिर्फ शैक्षणिक कार्य ही करवाए जाएं और उसे परिणाम के लिए उत्तरदायी बनाना चाहिए।''-- सतपाल बजाड़, प्रधान हसला सोनीपत।
प्राध्यापकों ने रखी ये मांगें
- कक्षा प्रथम से लेकर कक्षा 8वीं तक किसी भी विद्यार्थी को फेल करना अध्यापकों को परोक्ष रूप में उत्तरदायित्व से दूर करना है। इसलिए पास नीति को छोड़ कर अध्यापक को परीक्षा परिणाम को उत्तरदायी बनाया जाए।
- अध्यापकों से गैर शैक्षणिक कार्य करवाया जाए। अध्यापकों का अधिकतर समय प्रवेश के समय दाखिला करने तथा विद्यार्थियों से विभिन्न दस्तावेज लेने में गुजरता है।
- सेमेस्टर प्रणाली को समाप्त किया जाए।
- अध्यापक से केवल और केवल शिक्षण कार्य करवाया जाए तभी विभाग शिक्षकों को परीक्षा परिणाम के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी ठहरा सकता है। dbsnpt
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