पानीपत : जर्जर सरकारी स्कूलों के नए भवन का इंतजाम नहीं होने से बच्चे निजी स्कूलों में पलायन करने लगे हैं। दाखिले का ग्राफ 50 से 60 फीसद तक गिर गया है। प्रवेश उत्सव में भी कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। विभागीय अधिकारी मौन हैं कि वे करें तो क्या करें। जगह तो प्रशासन दिलाएगा।
सरकारी शिक्षा का हाल बेहाल है। पानीपत जिले में आठ-नौ सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जिनके भवन बदहाल हैं। मौलिक शिक्षा विभाग ने दो वर्ष पूर्व इन स्कूलों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की थी। उचित बोली न लगने से नीलामी की प्रक्रिया अटक गई। सरकारी कार्य में लेटलतीफी देख कर बच्चों ने दूसरे निजी स्कूलों में दाखिला करा लिया। रमेशनगर का स्कूल वधावाराम कालोनी में और वार्ड 11 का महादेव कालोनी में शिफ्ट कर दिया गया। वर्ष 2015 से ही बच्चे इन स्कूलों से धीरे धीरे कम होने लगे। नए शैक्षणिक सत्र 2016 में बच्चों की संख्या 60 फीसद तक कम हो गई है।
केस एक :
वार्ड नंबर 11 में वक्फ बोर्ड की जमीन पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय है। जर्जर पांच कमरे हैं। वर्ष 2013 में नीलामी प्रकिया शुरू की गई। स्कूल को महादेव कालोनी में इवनिंग में शिफ्ट कर दिया गया। बोली की प्रकिया अधूरी रह जाने से स्कूल का निर्माण कार्य अधर में है। मार्च 2015 से पहले इस स्कूल में 250 बच्चे थे। वर्तमान में इस स्कूल में 100 बच्चे ही रह गए। डाबर कालोनी से जो बच्चे वार्ड 11 में पढ़ने आते थे, उनके लिए अब ज्यादा दूर हो गया।
केस दो :
रमेश नगर का प्राथमिक पाठशाला भी बोली की प्रक्रिया में अटकी है। तीन वर्ष से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भवन को तोड़ा नहीं गया। बताया जा रहा है कि अतिरिक्त उपायुक्त की देखरेख में स्कूल की दोबारा से बोली लगेगी। एसएसए व मौलिक शिक्षा विभाग तालमेल बिठा कर फिर से बोली लगवाएगा। कालोनी के लोग इस बारे में कई बार सीएम विंडो पर शिकायत कर चुके हैं। स्कूल को वधावाराम कालोनी में शिफ्ट करने के बाद बच्चों की संख्या 350 से घट कर 180 रह गई।
केस तीन :
हरिनगर कालोनी के लोगों ने स्कूल के नए भवन के लिए वर्ष 2014 में भूख हड़ताल की। तत्कालीन उपायुक्त ने भरोसा दिलाया कि कालोनी में जल्द जगह आवंटित करा दी जाएगी। तीन वर्ष बीत गए, जगह नहीं मिली। पुराने भवन में दो-तीन कमरों में स्कूल चल रहा है। 650 बच्चे में से वर्ष 2015 में 350 रह गए। इस वर्ष पांचवीं कक्षा के 92 बच्चे पास करके चले गए। बैठने की जगह नहीं मिलने से कोई नया बच्चा दाखिला कराने कतरा रहा है। बच्चे जान जोखिम में लेकर रेलवे लाइन पार कर दूसरे स्कूलों में जाने को मजबूर हो गए।
केस चार :
मतलौडा ब्लॉक में राजकीय विद्यालय खुखराना कई वर्षो से जर्जर भवन में चल रहा है। बच्चे जान जोखिम में लेकर शिक्षा हासिल करते हैं। नीलामी प्रक्रिया में इस स्कूल को भी शामिल किया गया। बोली अधूरी रह जाने से बिल्डिंग निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ। 200 से ज्यादा बच्चे इस स्कूल में हैं।
कैप्शन : अनिल
राजकीय प्राथमिक विद्यालय संघ के ब्लॉक प्रधान व रमेश नगर स्कूल के इंचार्ज अनिल का कहना है कि तीन वर्ष से ज्यादा समय हो गया। स्कूल को तोड़ा भी नहीं गया, बनाना तो दूर की बात है। दूरी बढ़ जाने से बच्चे स्कूल छोड़ कर इधर-उधर चले गए।
देरी हुई नीलामी में : संतोष
कैप्शन : संतोष ग्रोवर
जिला मौलिक मौलिक शिक्षा अधिकारी संतोष ग्रोवर का कहना है पानीपत के आठ से दस सरकारी स्कूलों को तोड़ कर नया बनाना है। नीलामी की प्रकिया लंबी हो गई। एस्टीमेट बना रखा है। एसएसए के जेई को कहा था दोबारा बोली की कार्रवाई को जल्द से पूरा करवाए। प्रशासनिक अधिकारी के बदल जाने से देरी हुई। dj
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