** हरियाणा में 12 साल बाद बदला स्कूली पाठ्यक्रम बच्चों की समझ के अनुकूल नहीं
चंडीगढ़ : हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक
बदला गया पाठ्यक्रम स्कूली बच्चों की समझ के अनुकूल नहीं है। पहली से लेकर
तीसरी कक्षा तक की अंग्रेजी समझने में जहां शिक्षकों के पसीने छूट रहे,
वहीं दूसरी व तीसरी कक्षा की हिंदी भी काफी मुश्किल है।
प्रदेश सरकार ने
करीब 12 साल बाद पहली से पांचवीं कक्षा की पाठ्य पुस्तकें बदलने का फैसला
लिया है। कक्षा छह से आठ की पुस्तकों में अगले साल बदलाव होगा। पुराना
पाठ्यक्रम बदलने के पीछे दलील दी गई थी कि यह न केवल मुश्किल है, बल्कि नए
जमाने के हिसाब से इसमें बदलाव भी जरूरी हो गया है। प्रदेश के शिक्षा विभाग
की सिफारिश पर राज्य शैक्षणिक अनुसंधान परिषद गुड़गांव (एससीईआरटी)
पुस्तकों में बदलाव करती है। दिल्ली व गुड़गांव के दो प्रशिक्षकों को
पुस्तकें छापकर स्कूलों में भिजवाने की जिम्मेदारी दी गई है, मगर शिक्षा
सत्र शुरू हुए 24 दिन बीत गए, मगर अभी सिर्फ पहली से तीसरी क्लास तक की
किताबें ही स्कूलों में आनी शुरू हुई हैं। राज्य के कुछ जिलों में शुक्रवार
और शनिवार को पहली से तीसरी क्लास तक की किताबें पहुंची। कैथल, फतेहाबाद
और सिरसा समेत करीब एक दर्जन जिले ऐसे हैं, जहां किताबें अभी पहुंचनी चालू
नहीं हुई हैं। कक्षा चार से पांच तक की पुस्तकें भी नहीं पहुंची हैं, जिससे
शिक्षकों और बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। स्कूलों
में अभी तक जो पुस्तकें पहुंची हैं, उनकी खास बात यह है कि वे बाहरी आवरण
से देखने में अच्छी हैं।
"हम समझ रहे थे कि इतने लंबे अंतराल के बाद पाठ्य
पुस्तकों में बदलाव हो रहा है तो वह बच्चों की सोच, समझ और जरूरत के अनुकूल
होगा, मगर अभी तक जो किताबें स्कूलों में पहुंची हैं, उन्हें देखकर बदलाव
को सकारात्मक नहीं कहा जा सकता।"-- दीपक गोस्वामी, प्रवक्ता, राजकीय प्राथमिक
शिक्षक संघ हरियाणा।
"इस माह के अंत तक सभी किताबें स्कूलों में पहुंच
जाएंगी। सभी कक्षाओं का पाठयक्रम बदला गया है। शिक्षा की गुणवत्ता में
सुधार के लिए 10 और 12वीं का इस बार से सेमेस्टर सिस्टम खत्म कर दिया गया
है।"-- केशनी आनंद अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, हरियाणा।
पुस्तकों में चित्र अच्छे, लेकिन अंग्रेजी छुड़ा रही पसीने
पुस्तकों
में इस बार चित्रों की संख्या, क्वालिटी और आकार बढ़ाए गए हैं, मगर हिंदी व
अंग्रेजी की पढ़ाई मुश्किल कर दी गई है। पहली से तीसरी क्लास तक गणित आसान
है। पहली क्लास का गणित पांच से छह साल का बच्चा आसानी से समझ सकता है।
हिंदी की किताबें खोलते ही अक्षरों के बजाय मात्रएं नजर आती हैं। शिक्षकों
की दलील है कि दूसरी व तीसरी क्लास की अंग्रेजी इससे बड़ी कक्षाओं के स्तर
की लग रही है।
आधी भी नहीं छपी
पहली से पांचवीं क्लास तक हिंदी, अंग्रेजी,
गणित और प्रवेश अध्ययन (विज्ञान व सामाजिक विज्ञान के साथ) चार किताबें
पढ़ाई जाती हैं। एक वर्क बुक अलग से मिलती है। सरकारी स्कूलों में पहली से
पांचवीं तक पढ़ाई करने वाले बच्चों की संख्या 9 लाख 51 हजार 283 है, जिनके
लिए करीब 50 लाख किताबों व वर्कबुक की जरूरत है, मगर छपाई अभी आधी भी पूरी
नहीं हो पाई है। dj
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