नई दिल्ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के देशभर में अपने
करीब 17 हजार संबंद्धता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बस्ते के
बोझ से मुक्ति दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। बोर्ड ने स्कूलों को
हिदायत दी है कि वो इस समस्या के निदान के लिए संचार प्रौद्योगिकी के
इस्तेमाल पर जोर दें और टाइम टेबल को इस तरह से तैयार करें कि बच्चों को
रोजाना सभी किताबें स्कूल लाने की जरूरत ही न रह जाए। इतना ही नहीं, बच्चों
के कंधों पर पड़ने वाले बस्ते के बोझ को पूरी तरह से खत्म करने के लिए
बोर्ड ने स्कूलों को अपने यहां लॉकर की सुविधा शुरू करने का भी सुझाव दिया
है।
सीबीएसई की ओर से स्कूलों को कहा गया कि बस्ते का बोझ छात्रों पर
लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अभिभावकों पर बिना किसी अतिरिक्त आर्थिक
भार के इस समस्या का निदान सुनिश्चित करें।
स्कूल प्रमुखों को लिखे अपने
पत्र में बोर्ड ने इस बात का भी जिक्र किया है कि इस संबंध में पहले भी
वर्ष 2006, 2007, 2008 में बस्ते में से पाठ्यपुस्तकों को कम करने के सुझाव
जारी कर चुका है। बावजूद, पुस्तकों का बोझ कम होने के बजाय बढ़ता ही जा
रहा है। इस समस्या से परेशान विद्यार्थियों को राहत देने के उद्देश्य से एक
बार फिर बोर्ड ने कहा है कि शिक्षक व अभिभावक यह सुनिश्चित करें कि बच्चे
का बस्ता टाइम टेबल के मुताबिक हो और टाइम टेबल ऐसा हो कि आवश्यकता से अधिक
किताबे स्कूल ले जाने की रोजाना जरूरत न पड़े।
सीबीएसई ने कहा कि स्कूल
इस समस्या के निदान के लिए पाठ्यक्रम सह शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) पर आधारित हो। इससे किताबों की
अनिवार्यता कम होगी और बस्ते का बोझ भी घटेगा। इसी तरह बोर्ड ने कहा कि
पुस्तकें नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल शीट से कवर नही होनी चाहिए। इतना ही स्कूल
प्रयास करें कि नर्सरी, पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को बस्ते से मुक्त
रखा जाएं और उनकी किताबें रखने का प्रबंध स्कूल में ही हो। स्कूल में लॉकर
की सुविधा विकसित होने से रेफरेंस बुक, स्पोर्ट्स उपकरण, वर्दी रखना आसान
हो जाएगा।
शिक्षकों व अभिभावकों की हो काउंसलिंग :
सीबीएसई ने इस समस्या
के निदान के लिए शिक्षकों व अभिभावकों की आवश्यक काउंसिलिंग पर भी जोर दिया
है। ऐसा इसलिए कि यदि वो इस समस्या को समङोंगे तो वो विद्यार्थियों के हित
में प्रयास करेंगे। dj
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