नई दिल्ली : स्कूलों में नए शिक्षण सत्र 2016-17 की शुरुआत हो गई है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने साफ किया है कि यदि निजी
स्कूलों ने अभिभावकों व बच्चों पर निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने के लिए
दबाव बनाया तो खैर नहीं। बोर्ड ने कहा है कि जब मूल्याकंन का आधार
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) व सीबीएसई की
किताबें हैं तो निजी प्रकाशकों की किताबों को पढ़ाने का क्या औचित्य है।
अभिभावकों को एनसीईआरटी की किताबें खरीदने के लिए प्रेरित करें। यदि बाजार
में इनकी कमी है तो वेबसाइट से नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हैं।
सीबीएसई की
अतिरिक्त निदेशक सुगंध शर्मा की ओर से सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश दिया
गया है कि वे एनसीईआरटी व सीबीएसई की किताबों का ही इस्तेमाल करें। शिकायत
मिल रही है कि कुछ स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने के लिए बाध्य
कर रहे हैं। बोर्ड की ओर से तैयार किए जाने वाले टेस्ट, परीक्षा सामग्री व
बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्र एनसीईआरटी की किताबों पर आधारित होते हैं। यदि
बच्चे इन किताबों का अध्ययन नहीं करेंगे तो परीक्षा के समय उन्हें दिक्कत
होगी। सीबीएसई से साढ़े 17 हजार स्कूल संबद्ध हैं, जहां एनसीईआरटी की
किताबों चलती हैं। ऐसे विषय जिनमें ये किताबें उपलब्ध नहीं हैं, उनके लिए
सीबीएसई अपनी किताब विद्यार्थियों को उपलब्ध कराता है। dj
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