सोनीपत : कभी विद्यार्थियों के लिए अपनी पहचान बनाने के लिए बेहद लोकप्रिय विषय रहे सीए के प्रति विद्यार्थियों की लोकप्रियता निरंतर कम हो रही है।
पिछले चार सालों के सीपीटी के रजिस्ट्रेशन पर नजर डाले तो स्पष्ट दिखता है कि 2015 में 70 प्रतिशत गिरावट आई है। जहां मार्च 2012 में 10100 स्टूडेंट्स सीपीटी के लिए रजिस्ट्रेशन हुए। वहीं मार्च 2015 में मात्र 3175 स्टूडेंट्स ही रजिस्ट्रेशन हुए। जिसमें सोनीपत के ओवरआल 11सौ विद्यार्थियों ने आवेदन किया था।
इन कारणों से पड़ा लोकप्रियता पर असर
सीए पेपर का टफ होना :
जितनेस्टूडेंट्स सीपीटी क्लियर करते हैं उनमें से मुश्किल से 10 प्रतिशत स्टूडेंट्स आईपीसीसी क्लियर कर पाते हैं। इन 10 प्रतिशत में भी केवल 3 प्रतिशत स्टूडेंट्स सीए बन पाते हैं। बताया जाता है कि इन तीन प्रतिशत में भी केवल एक प्रतिशत स्टूडेंट्स को अच्छा पैकेज मिल पाता है। इतने टफ कॉम्पीटीशन के कारण स्टूडेंट्स रुचि नहीं ले रहे।
दूसरी डिग्री लेने की इजाजत नहीं :
सीएके दौरान स्टूडेंट्स को कोई और डिग्री लेने की इजाजत नहीं होती। जबकि मौजूदा समय में युवा अपने हाथ में दो बेहतर ऑप्शन रख कर चलना पंसद करते हैं। इस कोर्स में उन्हें दूसरा कोई कोर्स करने की अनुमति नहीं है। आईपीसीसी के पास करने के बाद तीन साल की ट्रेनिंग के दौरान अगर स्टूडेंट्स कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले उसे इंस्टीट्यूट से अनुमति लेनी होती है। इतनी जटिल प्रक्रिया में कोई नहीं पड़ना चाहता।
सीए की 2003 से 2010 के बीच बढ़ी थी डिमांड
2003 से 2010 के बीच देश में इकोनॉमिक में बूम आया। इससे सीए की डिमांड ज्यादा हुई। ऐसे में इंस्टीट्यूट ने उस समय पेपर का लेवल आसान रखा। अब इकोनॉमिक ग्रोथ गिरने के कारण सीए की डिमांड कम हुई है। ऐसे में पुराने सीए से नए सीए से कॉम्पीटीशन के कारण पैकेज का लेवल कम हुआ है।
हालत खराब तो सीए का बदला पैटर्न
एनआईअारसी की सोनीपत ब्रांच के पूर्व चेयरमैन दीपक गुप्ता ने बताया कि सीए के प्रति जो रूझान कम हुआ है, उसे देखते हुए अब बदलाव किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत सीए करने वाले स्टूडेंट्स अभी तक पहले सीपीटी, आईपीसीसी और फिर फाइनल स्टेप से गुजरते हैं। इस पैटर्न को बदलते हुए सीए फाउंडेशन, इंटरमीडियट और फिर फाइनल स्टेप किया जाएगा। पैटर्न चेंज के बदलाव पर उन्होंने कहा कि मौजूदा पैटर्न सीए करने वाले स्टूडेंट्स के लिए बहुत टफ है। अभी तक स्टूडेंट्स को पहले सीपीटी क्लियर करनी पड़ती है, इसके बाद आईपीसीसी और इसके बाद ट्रेनिंग शुरू करता है। db
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