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Friday, 22 April 2016

पीएचडी करने वालों को नेट से छूट का प्रावधान विरोधाभासी : डूटा

नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा वर्ष 2009 से पहले पीएचडी अवार्ड या रजिस्ट्रेशन करने वालों को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) में छूट देने के आदेश पर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के प्रतिनिधियों से सवाल उठाया है। डूटा उपाध्यक्ष सीएस रावत एवं संयुक्त सचिव राजेश झा का कहना है कि नेट से उन लोगो को छूट दी गई है, जिनका पीएचडी रजिस्ट्रेशन या अवार्ड 11.7.2009 से पहले हो चुका था, लेकिन उनके लिए पांच शर्तो को जोड़ देना एक तरह से राहत देने से मना करनेवाला कदम है। शर्तो में पीएचडी सिर्फ नियमित (रेगुलर) पद्धति से करना, थेसिस का मूल्यांकन कम से कम 2 बाहरी परीक्षक द्वारा होना, ओपन इंटरव्यू, कम से कम दो शोध प्रकाशन पीएचडी शोध कार्य से जुड़ा हो और इनमें से एक प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हुआ हो, उम्मीदवार कम से कम दो प्रजेंटेशन कांफ्रेंस या सेमिनार में हो और वह उनके पीएचडी शोध कार्य से संबंधित हो। डॉ.राजेश झा का कहना है कि आपत्ति इस बात को लेकर है कि शोधार्थी पीछे की तारीख से प्रकाशन कार्य और पेपर प्रस्तुतीकरण कैसे कर सकता है, तब जब ऐसी शर्ते कई विश्वविद्यालयों में अनिवार्य नहीं थीं। हाल में यूजीसी ने एमफिल, पीएचडी के मानक के तौर पर वर्ष 2009 के रेगुलेशन में 2009 से पहले की पीएचडी को समान बताया था।                                                          dj 

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