गुड़गांव : हरियाणा में निजी संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही यूनिवर्सिटी भी अब सूचना के अधिकार के दायरे में शामिल कर ली गई हैं। लोग इन यूनिवर्सिटी से संबंधित विषयों की जानकारी आरटीआई के तहत मांग सकेंगे। इसके लिए यूनिवर्सिटी में जन सूचना अधिकारी तैनात करने होंगे। इसके विरोध में आईटीएम (अब नोर्थकैप यूनिवर्सिटी) व अमेटी यूनिवर्सिटी की याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।
कई बड़े मामलों का खुलासा कर चुके आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र धींगड़ा की एक आरटीआई का जवाब देने से इनकार करने के बाद उन्होंने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। सूचना आयोग ने निजी विश्वविद्यालयों को सूचना के अधिकार के तहत सूचना देने के लिए कहा। प्रदेश के निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों को आरटीआई एक्ट के तहत लाने की सूचना भी जारी कर दी। आयोग के निर्देश के खिलाफ आईटीएम यूनिवर्सिटी (अब नोर्थकैप यूनिवर्सिटी) ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। अमेटी यूनिवर्सिटी ने भी याचिका दायर कर दी। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राकेश कुमार जैन ने कहा कि आयोग के फैसले में कुछ गलत प्रतीत नहीं होता। दोनों यूनिवर्सिटी की याचिकाएं खारिज कर दी गयी। एडवोकेट करण वीर सिंह खेहर ने धींगड़ा की ओर से पक्ष रखा था।
इसलिए पड़ी आयोग के हस्तक्षेप की जरूरत
धींगड़ा ने आईटीएम यूनिवर्सिटी (अब नोर्थकैप यूनिवर्सिटी) से सूचना के अधिकार के तहत एनआरआई कोटा से दाखिल हुए विद्यार्थियों की संख्या, उनसे वसूली जाने वाली फीस व वर्ष 2002 से 2012 तक विद्यार्थियों को लौटाई गई फीस का विवरण मांगा। लेकिन यूनिवर्सिटी ने उनका आवेदन यह कहते हुए लौटा दिया कि यूनिवर्सिटी आरटीआई एक्ट के दायरे में नहीं आती। इसके बाद धींगड़ा ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। dt
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