** एससीईआरटी द्वारा तैयार पेपरों में शाब्दिक और व्याकरण संबंधी त्रुटियों से परीक्षा कराना मुश्किल
रेवाड़ी : राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के शैक्षणिक स्तर को
बेहतर बनाने के लिए लागू किए मासिक असेसमेंट टेस्ट खुद की गुणवत्ता की
कसौटी में ‘फेल’ हो रहे हैं। टेस्ट के लिए ये पेपर न केवल कम संख्या में
स्कूलों में पहुंच रहे हैं, अपितु इनमें शाब्दिक एवं व्याकरण संबंधी
त्रुटियां आ रही हैं। जिससे विद्यार्थियों के लिए भी असमंजस की स्थिति पैदा
हो रही है। ऐसे में इन मासिक टेस्ट के औचित्य पर भी सवालिया निशान लग गया
है।
राजकीय स्कूलों में इससे पहले अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए
त्रि-मासिक टेस्ट होते थे, लेकिन वर्ष 2015 से शिक्षा विभाग ने स्कूलों में
मासिक मूल्यांकन टेस्ट की अनिवार्यता लागू कर दी है। पहली से आठवीं कक्षा
के लिए आने वाले मासिक मूल्यांकन के ये पेपर एससीईआरटी गुरुग्राम से तैयार
होकर जिला मुख्यालय और उसके बाद खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से स्कूलों तक
पहुंचाए जाते हैं। अब सभी कक्षाओं के नवंबर के मूल्यांकन के लिए टेस्ट
आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन शुक्रवार को सातवीं कक्षा के संस्कृत विषय के
पेपर को देखकर इनको तैयार किए जाने पर कितनी गंभीरता दिखाई जा रही है,
उसका पता चल गया है। हालांकि शाब्दिक तथा व्याकरण संबंधी त्रुटियां अन्य
विषयों के पेपरों में भी आ रही हैं। लेकिन संस्कृत विषय के पेपर में तो
इतनी अधिक हैं कि न केवल बच्चे अपितु शिक्षकों के लिए यह सिरदर्द बना हुआ
है। उन्हें समझ नहीं आ रही है कि कितने प्रश्नों को इसमें दुरुस्त कराया
जाए। कई प्रश्न-पत्रों में तो संबंधित विषय से बाहर के प्रश्न आ चुके
हैं।
बच्चों की संख्या अधिक पेपर कम :
एससीईआरटी के माध्यम से आ रहे इन
प्रश्नों की संख्या भी कम आ रही है और तमाम प्रश्न-पत्र विषयवार अलग-अलग
भेजे जाने की बजाय सभी प्रश्न-पत्रों को साथ-साथ भेजा जा रहा है। इसकी वजह
से केंद्र से इन पेपरों को मिलने के बाद शिक्षकों को इन्हें विषयवार के तौर
भी अलग-अलग करना पड़ रहा है। सबसे अधिक मुश्किल कम संख्या में पेपर आने की
वजह से हो रही है, जिससे ऐन वक्त पर बच्चों के लिए फोटो कॉपी उपलब्ध कराना
बेहद मुश्किल हो जाता है।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.