अंबाला शहर : मासिक परीक्षाओं के दौरान खुद का बेहतर परिणाम दिखाने के लिए
शिक्षकों ने अपनी-अपनी कक्षाओं के विद्यार्थियों को ज्यादा अंक देने में
इतनी उत्सुकता दिखाई कि निर्धारित प्रश्नों से ज्यादा प्रश्न करने पर (ओवर
अटेंप्ट) भी विद्यार्थियों को अंक दे दिए। मजेदार बात तो यह है कि इन
शिक्षकों ने गलत प्रश्नों को न केवल सही दिखाया, बल्कि कुल प्रश्नों के कुल
जोड़ को बदलकर शिक्षा विभाग को गुमराह करने का प्रयास किया।
कुछ ने तो
बोर्ड द्वारा तय प्रश्नों के निर्धारित नंबरों से ज्यादा नंबर दे डाले। फिर
भी जिले के 62 फीसद होनहार 50 प्रतिशत अंकों से नीचे रहे। स्थिति यह है कि
ज्यादातर विद्यार्थी 33 फीसदी अंकों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पा रहे हैं।
गणित के साथ-साथ, साइंस और अंग्रेजी तीनों मुख्य विषयों का परिणाम 15 से
22 फीसदी तक पहुंच पा रहा है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अब पहली
बार प्रदेशभर के सभी सरकारी स्कूलों में होने वाली मासिक परीक्षाओं पर डीसी
फ्लाइंग की निगाहें होंगी। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय की ओर 30 नवंबर
को आदेश जारी किया गया है। जिले में करीब सरकारी स्कूलों में पहली से
12वीं तक करीब 1.5 लाख विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें से 10वीं
और 12वीं के विद्यार्थियों को निकाल दिया जाए तो करीब सवा लाख
विद्यार्थियों की मासिक परीक्षा होती है।
शिक्षा निदेशालय की ओर से हर माह
मासिक परीक्षाएं करवाई जाती हैं। प्रश्नपत्र भी बोर्ड स्तर पर छपवाए जाते
हैं, लेकिन बोर्ड की शर्तो की अनुपालना नहीं होती। इन परीक्षाओं के बाद
प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से रैंडम आधार पर बोर्ड ने एक-एक
हजार उत्तर पुस्तिकाएं बोर्ड मुख्यालय से मंगवाईं। इनमें से 10 फीसद उत्तर
पुस्तिकाओं की बोर्ड ने जांच की, जिनमें भारी खामियां सामने आईं। इन्हीं को
देखते हुए अब जिलास्तर पर डीसी फ्लाइंग को परीक्षा प्रक्रिया की निगरानी
करने का जिम्मा सौंपा गया है।
इस तरह हुई प्रदेशभर से मंगाई गई उत्तरपुस्तिकाओं की बोर्ड में जांच
बोर्ड ने नौवीं और 11वीं कक्षा की कुल 2100-2103 उत्तरपुस्तिकाओं की जांच की। इनमें नौवीं में आठ और 11वीं में 11 ऐसी उत्तरपुस्तिकाएं पाई गईं जिनमें 11 विद्यार्थियों को बोर्ड द्वारा निर्धारित अंकों से ज्यादा अंक दिए गए हैं। इसी तरह शिक्षकों ने गलत उत्तर को सही दिखाने के साथ-साथ ओवर अटेंप्ट यानी निर्धारित प्रश्न संख्या से ज्यादा प्रश्न लिखने वाले विद्यार्थियों को भी अंक दे डाले। नौवीं में 193 और 11वीं में करीब 65 ऐसे केस पाए गए। नौवीं में 140 और 11वीं 136 उत्तरपुस्तिकाएं ऐसी थी जिनका कुल जोड़ ही गलत था। 27 नवंबर को बोर्ड ने शिक्षा निदेशालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
शपथ में शिक्षक ही बाधा :
नकल मुक्त परीक्षाओं के लिए जिलेभर में सभी शिक्षकों व बच्चों को शपथ दिलाई गई। अंबाला शहर में सभी 184 विद्यालयों में नकल मुक्त परीक्षाओं की शपथ दिलाई गई। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राकेश गुप्ता और निदेशक मौलिक शिक्षा विभाग, हरियाणा राजनारायण कौशिक ने दिसंबर माह की परीक्षाओं को नकल मुक्त संपन्न कराने के बारे में वीडियो संदेश भी जारी किया था। उसी के तहत खंड शिक्षा अधिकारी सुधीर कालड़ा ने सभी स्कूलों में शपथ दिलाई, लेकिन बोर्ड द्वारा पोल खोले जाने के बाद अब यह पूरी तरह साफ हो गया है कि खुद शिक्षक ही इस शपथ को तोड़ रहे हैं।
कवायद
- शिक्षा निदेशालय ने मासिक परीक्षाओं के लिए डीसी फ्लाइंग की नियुक्ति का दिया आदेश1
- मासिक परीक्षाओं पर होगी अब डीसी फ्लाइंग की निगाहें
- खराब परिणाम से जूझ रहा जिला, मिडिल का सबसे बुरा
- महज सात फीसदी होनहारों के 75 फीसद से ज्यादा अंक
- बोर्ड ने उत्तरपुस्तिकाएं मंगवाकर जांची तो खुली पोल
"हम नकल
रोकने के लिए प्रयासरत हैं। इसी कड़ी में हमने सभी स्कूलों में बच्चों के
साथ-साथ शिक्षकों को भी शपथ दिलाई है। अब डीसी फ्लाइंग को शिक्षा निदेशालय
ने मासिक परीक्षाओं की निगरानी के लिए भी नियुक्त कर दिया है। निश्चित तौर
पर इससे नकल तो रुकेगी ही शिक्षक भी अच्छा कार्य करेंगे। बोर्ड की निगरानी
पर शिक्षा विभाग भी ध्यान देगा।"-- सुधीर कालड़ा, खंड शिक्षा अधिकारी, अंबाला
शहर।
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