चंडीगढ़ : सरकारी स्कूलों में कहीं हद से ज्यादा स्टाफ तो कहीं शिक्षकों का
ढूंढ़े नहीं मिलना, आम समस्या है। स्कूलों के रिजल्ट पर इसका असर पड़ता
देख विभाग ने अभी से अगले साल के लिए रेशनेलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू कर
दी है। विभाग की ओर से सभी स्कूल मुखियाओं को साफ हिदायत है कि वह कक्षा और
विषय के मुताबिक बच्चों का ब्योरा तुरंत एमआइएस पोर्टल पर डालें। लापरवाही
बरतने वाले हेडमास्टर और प्रिंसिपल पर विभागीय कार्रवाई होगी।
स्कूल
निदेशालय ने इस संबंध में सभी जिला अधिकारियों, मौलिक अधिकारियों और
स्कूल मुखियाओं को लिखित आदेश दिए हैं। रेशनलाइजेशन की प्रक्रिया 31 मार्च
तक पूरी की जानी है। सभी स्कूलों को गत 30 सितंबर को आधार मानकर कक्षा और
विषय के अनुसार बच्चों का डाटा पोर्टल पर डालना होगा। इसकेबाद जिलों से
छात्र संख्या और वर्कलोड के हिसाब से सरप्लस शिक्षकों की सूची तैयार की
जाएगी। वर्तमान में कई स्कूलों में कम स्टाफ के कारण अन्य शिक्षकों पर
अत्यधिक बोझ है, जबकि कई स्कूलों में शिक्षकों के पास पढ़ाने के लिए बच्चे
ही नहीं। जहां पर छात्र संख्या के अनुपात में अध्यापकों और लेक्चरर की
संख्या ज्यादा होती है तो उसे सरप्लस मानकर दूसरे स्कूलों में तैनात किया
जाता है। हालांकि निदेशालय के आदेश पर ज्यादातर स्कूलों के प्रिंसिपल और
हेडमास्टरों ने पोर्टल पर सूचना डाली है, लेकिन अधकचरी। इसी तरह कई स्कूल
मुखिया मामले में अभी तक चुप्पी साधे बैठे हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए
विभाग ने चेतावनी दी कि अगर निर्धारित अवधि में डाटा अपलोड नहीं किया गया
तो विभागीय कार्रवाई होगी।
रिक्त पदों पर भेजे जाएंगे पदोन्नत पीजीटी :
निदेशालय की कवायद के पीछे हाल ही में पदोन्नत हुए पोस्ट ग्रेजुएट टीचर
(पीजीटी) बड़ी वजह हैं जिन्हें स्कूल अलॉट किए जाने हैं। पदोन्नति के
मामलों पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट नजर रखे है जिस कारण विभाग कोई
ढिलाई बरतने को तैयार नहीं।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.