करनाल : प्रदेश के कॉलेजों में क्वालिटी एजुकेशन के लिए स्कूलों की तर्ज पर वार्षिक एकेडमिक कैलेंडर लागू होगा। सेकेंडरी एजुकेशन की तरह हॉयर एजुकेशन परिसर में एकेडमिक कैलेंडर की जरूरत महसूस की गई है। कॉलेज प्राचार्यों के साथ वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव हॉयर एजुकेशन हरियाणा की मीटिंग में इस व्यवस्था पर सहमति बन गई है। प्रदेश के कई उपकुलपतियों ने भी कैलेंडर सिस्टम को लागू करने के निर्णय को उचित बताया है।
प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में अक्सर एकेडमिक व एक्टिविटीज को लेकर समन्वय नहीं है। किसी में अवकाश है तो किसी में कक्षाएं लग रही होती हैं। कहीं खलों का आयोजन तो कहीं सांस्कृतिक गतिविधियां संचालित होती हैं। इस तरह से हायर एजुकेशन में क्वालिटी एजुकेशन प्रभावित होने की बात सामने आई है। सभी कॉलेजों में शिक्षण, खेल व सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन समय पर होगा तो निश्चित तौर पर उक्त गतिविधियों की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी। इसी के मद्देनजर दो अगस्त को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में उच्चतर शिक्षा विभाग के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव एसएस प्रसाद ने प्राचार्यों के साथ मीटिंग की, जिसमें सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में एक जैसा एकेडमिक कैलेंडर लागू करने का निर्णय किया। प्रदेश में कई विश्वविद्यालयों के उपकुलपति भी सभी विश्वविद्यालयों में समान वार्षिक एकेडमिक कैलेंडर के निर्णय पर सहमत हो हुए हैं। आगामी नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से ऐसा वार्षिक एकेडमिक कैलेंडर लागू हो सकता है।
सेमेस्टर सिस्टम में आएगा शिक्षा के स्तर में सुधार
कैलेंडर सिस्टम लागू होने से शिक्षा में सुधार आने की उम्मीद जताई जा रही है। प्राचार्यों का कहना है कि इस व्यवस्था के लागू होने से सभी प्रकार के कार्यों में समयबद्धता आएगी। विद्यार्थियों में अनुशासन को बढ़ावा मिलेगा। समय पर परीक्षा होने और रिजल्ट आने से सेमेस्टर सिस्टम को बल मिलेगा।
एक समान अवकाश
वार्षिक कैलेंडर सिस्टम के तहत सभी विश्वविद्यालयों व उनके अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में सभी अवकाश एक साथ व एक समान होंगे। इस व्यवस्था के तहत राष्ट्र स्तरीय होली और दिवाली जैसे त्योहारों पर सात-सात दिनों के अवकाश तय किया जा सकते हैं।
अनलिमिटेड चांस नहीं मिल पाएंगे
पढ़ाई की गुणवत्ता को कायम रखने के लिए विश्वविद्यालय एक और ठोस निर्णय लेने की तैयारी में हैं। एक सेमेस्टर में रि-अपीयर आने के बाद उसे क्लियर करने के लिए विद्यार्थी के पास परीक्षा देने के लिए अनलिमिटेड चांस उपलब्ध हैं। लेकिन शिक्षाविद इस व्यवस्था को शिक्षा की गुणवत्ता के लिए हानिकारक मान रहे हैं। ऐसे में उक्त चांस लिमिटेड जाने पर विचार किया गया है।
समय पर पूरा होगा सिलेबस
यूजीसी की तरफ से 180 दिन पढ़ाई के तय किए गए हैं। लेकिन बिना कैलेंडर सिस्टम के परीक्षा लेट से शुरू होने, रिजल्ट देर से आने अथवा अन्य गतिविधियों में अधिक समय लग जाने से अगले सेमेस्टर की पढ़ाई के दिन कम रह जाने शिकायत रहती हैं। इस हाल में सिलेबस समय पर पूरा करने का संकट खड़ा हो जाता है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
"वार्षिक कैलेंडर परंपरा को लागू किया जाएगा। इससे शिक्षा, खेल व सांस्कृतिक जैसी सभी प्रकार की गतिविधियों में समयबद्धता बढ़ेगी।"-- डॉ. आरएस शर्मा, वीसी, चौधरी देवीलाल यूनि.सिरसा ...db
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