**12वीं के नतीजों में देरी संभव
रोहतक : प्रदेश भर में करीब 5 हजार प्राध्यापकों ने गुरुवार को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 12वीं की परीक्षाओं के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार कर दिया है। प्राध्यापकों ने दो टूक शब्दों में कहा है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, तब तक बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार जारी रहेगा। वहीं, राज्य सरकार और प्राध्यापकों की खींचतान में फंसे करीब 3 लाख परीक्षार्थियों को प्रथम सेमेस्टर के नतीजों में देरी होने की चिंता सताने लगी है।
बोर्ड ने 12वीं की करीब 15 लाख उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के लिए प्रदेश भर में 5 हजार प्राध्यापकों की ड्यूटी लगाई है, लेकिन प्रदेश भर में निर्धारित 29 स्थल मूल्यांकन केंद्रों पर एक भी कॉपी का मूल्यांकन नहीं हुआ है। शिक्षक सुबह तय समय पर मूल्यांकन केंद्रों पर तो पहुंचे और 15 मिनट की बैठक कर वापस चले गए। 15 अक्टूबर से शुरू हुई 12वीं की परीक्षाएं 6 नवंबर को संपन्न हुई हैं और 7 नवंबर से उनका मूल्यांकन कार्य शुरू होना था।
सरकार से जारी है बातचीत: भारद्वाज
हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन केसी भारद्वाज का कहना है कि प्राध्यापकों की सरकार से मांगों को लेकर बातचीत चल रही है। ऐसे में शिक्षा बोर्ड न तो कुछ कह सकता है और न ही कर सकता है।
मांगें न माने जाने तक बहिष्कार रहेगा जारी:
हरियाणा स्कूल लेक्चर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष दयानंद दलाल के नेतृत्व में गुरुवार को जाट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हुई बैठक में प्राध्यापकों ने एकमत से कहा कि मांगे न माने जाने तक मूल्यांकन का बहिष्कार जारी रहेगा। दलाल ने कहा कि 30 अप्रैल 2011 को उनके प्रतिनिधिमंडल की चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री के ओएसडी से मुलाकात हुई थी। इस मीटिंग में मौजूदा शिक्षामंत्री और शिक्षा बोर्ड के उच्च अधिकारियों के समक्ष उनकी सभी मांगों पर सहमति बनी थी, लेकिन आज तक उन्हें धरातल पर लागू नहीं किया गया है। इस वजह से प्रदेशभर के सभी प्राध्यापकों में रोष है। इस दौरान राज्य सरकार की वायदा खिलाफी के विरोध में प्राध्यापकों ने जमकर नारेबाजी भी की। वहीं, राजकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रदेशाध्यक्ष रामभज बजाड़ ने हसला की मांगों पर समर्थन भी दिया।
ये हैं प्रमुख मांगें
1. प्राध्यापकों को पंजाब, हिमाचल, राजस्थान और मध्यप्रदेश की तर्ज पर 5400 रुपए ग्रेड पे दिया जाए।
2. प्राचार्य के पद पर 100 फीसदी कॉलेज की योग्यता रखने वाले प्राध्यापकों को पदोन्नति दी जाए।
3. स्कूल प्राध्यापक का पद नाम पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) की बजाय प्राध्यापक ही रखा जाए। db
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