पुन्हाना : पुन्हाना खंड के गांव शाहचौखा में दो प्राइमरी स्कूलों को मिडिल स्कूल का दर्जा मिले आठ साल बीत गए, लेकिन आज तक यहां अध्यापक नहीं आए हैं। हालात को देखते हुए प्राइमरी स्कूल के अध्यापक ही मिडिल स्कूल के बच्चों को तालीम दे रहे हैं। आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे में बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा। प्रदेश की शिक्षा मंत्री भले ही बेहतर शिक्षा का दम भर रही हों, लेकिन हकीकत से रूबरू होते ही सारे दावों की पोल खुल जाती है।
नहीं है छात्रों के लिए कोई व्यवस्था
स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन मोहम्मद उमर ने बताया कि स्कूल में न तो बिजली है, न ही पीने के पानी की कोई सुविधा। हैरानी की बात यह है कि यहां की छात्राओं के लिए इस स्कूल में मात्र एक शौचालय है। चेयरमैन के मुताबिक स्कूल में भवन की कमी है। कुछ आधे-अधूरे कमरे बने हैं। इसके अलावा 2012 में मिले स्कूल ड्रेस को आज तक वितरित नहीं किया गया है। बच्चे सर्दी के मौसम में खुले आसमान व जमीन पर बैठने को मजबूर हैं।
शिक्षा विभाग नहीं दे रहा ध्यान
एसएमसी कमेटी उप चेयरमैन अब्दुल गफ्फार, मैमूना, अब्दुल जब्बार, मोहम्मद रहीश ने बताया कि गांव के मिडिल स्कूल के हालात कई वर्षों से अच्छे नहीं हैं। इस गांव के स्कूल की ओर शिक्षा विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है। आलम यह है कि यहां के स्कूल की स्थिति से जिले के अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, इसके बावजूद कोई व्यवस्था नहीं की गई है। प्राइमरी से लेकर दो मिडिल स्कूलों में मात्र एक ही स्थायी अध्यापक है। इसके अलावा बच्चों की शिक्षा के लिए विभाग ने अस्थायी अध्यापकों को नियुक्त किया है। db
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