सोनीपत : शिक्षा विभाग का फरमान विद्यार्थियों संग शिक्षकों के लिए भी गले की फांस बन रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों से संबंधित डाटा संग्रह करने की योजना को अमल में लाने के लिए जहां पहले शिक्षकों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ रहा था तो वहीं अब विभिन्न स्कूलों में विद्यार्थियों से पैसे वसूले जा रहे हैं। यह स्थिति तब है जब विभाग के ही निर्देश हैं कि प्राइमरी स्तर तक विद्यार्थी से किसी मद में कोई आर्थिक वसूली नहीं की जा सकती। शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे विद्यार्थियों से संबंधित सभी डाटा न केवल तैयार करें बल्कि उसे सुरक्षित करने के लिए सीडी भी तैयार करें।
ईपीएस इन्फॉर्मेशन योजना के अंतर्गत जिले के 456 राजकीय स्कूलों में पढऩे वाले सभी बच्चों का डाटा बनाने का कार्य शिक्षकों की ओर से अभी किया जा रहा है। इस डाटा में शिक्षकों को सभी विद्यार्थियों का नाम, पता, फोन नंबर, आधार नंबर तथा बैंक खाता नंबर से संबंधित जानकारी भरी जाती है। जानकारी लेने के बाद उसे सुरक्षित करने के लिए विद्यार्थियों का पूरा डाटा सीडी में डाला जाता है। दिलचस्प बात तो यह है कि स्कूल में सीडी बनवाने के लिए फंड ही उपलब्ध नहीं है। इससे पहले भी विद्यार्थियों के खाता खुलवाने के लिए दस-दस रुपए खर्च किए गए थे। इसके बाद से अब तक कभी आधार कार्ड डाटा को सीडी में डलवाकर देने के आदेश दिए जा रहे हैं तो कभी अन्य रिकॉर्ड को सीडी में मांगा जा रहा है।
विद्यार्थी हित में है डाटा संग्रह :
विद्यार्थी हित में डाटा संग्रह बेहद जरूरी है, क्योंकि भविष्य में विद्यार्थियों को मिलने वाली सभी आर्थिक मदद सीधे उनके बैंक खाते में ही जाएगी। यही नहीं विभाग के पास भी हर स्कूल स्तर पर विद्यार्थियों का डाटा रहेगा, जो कभी भी कोई नई योजना संचालन में उपयोगी साबित होगा।
बाहर से काम की आवश्यकता नहीं
सर्वशिक्षा अभियान के जिला संयोजक धीरज मलिक ने विद्यार्थियों से पैसे मांगे जाने की घटना को निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा है कि शिक्षकों से बाहर से काम कराने की आवश्यकता नहीं है, उन्हें चाहिए कि वे विभाग के तकनीकी रूप से दक्ष स्टाफ सदस्यों की मदद ले। अगर फंड की कमी को निरंतर विभाग की ओर से पूरा किया जाता है।
शिक्षकों पर बोझ डालना सही नहीं
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रवक्ता दिनेश छिक्कारा के मुताबिक विभाग की ओर से शिक्षकों पर बेवजह बोझ डाला जा रहा है तथा कई स्थानों पर विद्यार्थियों से भी अब 20-20 रुपए लिए जा रहे है, क्योंकि हर बार शिक्षक अपनी जेब से भी खर्च नहीं कर सकता। उन्होंने विभाग से इसके लिए अलग से बजट उपलब्ध कराने की मांग की है। db
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