शिक्षा विभाग की सरकारी स्कूलों को मर्ज करने की योजना अब 23 मार्च को प्रवेश उत्सव के साथ ही प्रभावी हो जाएगी। विद्यार्थियों की दाखिले के साथ स्कूल स्टॉफ की हाजिरी एक ही स्कूल में लगेगी।
सोनीपत में शिक्षा विभाग की इस योजना से 17 स्कूल प्रभावित होंगे। विभाग ने जहां इसे विद्यार्थियों के हित में संचालित बेस्ट योजना बताया है तो वहीं दूसरी ओर शिक्षक वर्ग इसे स्टॉफ विरोधी योजना मान रहा है। यही नहीं शिक्षक यूनियन ने तो बाकायदा इसका विरोध करने का फैसला किया है। शिक्षक गांव-गांव जाकर विभाग की इस योजना की जमीनी हकीकत से ग्रामीणों को अवगत करवाएंगे।
"विभाग का यह निर्णय सही नहीं है। यह स्टाफ को सरप्लस दिखा उन्हें हटाने की साजिश है। अगर विभाग को विद्यार्थियों के भविष्य की चिंता है तो स्कूल मर्ज करने के बजाए नई बिल्डिंग बनाई जानी चाहिए थी। शिक्षक गांवों का दौरा कर ग्रामीणों को इस हकीकत से रूबरू करवाएंगे।'' --संजीव मोर, ब्लाक अध्यक्ष, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ, सोनीपत।
"शिक्षा विभाग ने 23 मार्च से ही विभागों के विलय की योजना को प्रभावी बनाने का फैसला किया है। इससे विद्यार्थियों को भवन की समस्या दूर हो जाएगी।''--ओमप्रकाश कादियान, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी।
अब स्कूल रह जाएंगे 437
मौलिक शिक्षा निदेशालय के निर्देश पर सोनीपत के 17 स्कूलों के मर्ज होने पर प्राइमरी स्कूलों की संख्या घटकर 437 रह जाएगी। ऐसे में विभाग की स्कूल बढ़ाने की योजना की तो हवा ही निकल जाएगी। यही नहीं इस योजना के बाद शिक्षा विभाग द्वारा उन स्कूलों को भी बंद करने जा रही है जहां विद्यार्थी संख्या 20 से कम है। इसे लेकर भी निदेशालय की ओर से पत्र जारी कर दिया गया है।
स्टॉफ पर पड़ेगा असर
विभाग की इस योजना का असर यूं तो शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक दोनों पर पड़ेगा, लेकिन इसका सर्वाधिक नुकसान गैर शैक्षणिक स्टॉफ को होगा। गैर शैक्षणिक स्टॉफ में बढ़ोतरी नहीं होगी। बल्कि उनकी छंटनी की जाएगी। वहीं शिक्षक वर्ग भी इससे अछूता नहीं रहेगा। यहां भी अब बच्चे कम होने पर शिक्षक सरप्लस होंगे। ऐसे में तबादले से लेकर गेस्ट टीचरों को हट सकते हंै। विदित है कि अभी 120 बच्चों पर जहां चार शिक्षकों की ड्यूटी होती है तो 121 होते ही पांच शिक्षक बन जाएंगे। dbsnpt
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