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Friday, 21 March 2014

अभिभावकों को लुभाने सरकारी स्कूल के शिक्षक भी जाएंगे घर-घर

अभी तक एडमिशन संख्या बढ़ाने के लिए प्राइवेट स्कूल संचालक ही बच्चों के घरों पर दस्तक देते थे, लेकिन अब सरकारी स्कूलों के अध्यापक भी गलियों और मोहल्लों में दस्तक देते नजर आएंगे। सरकारी स्कूलों में घटती बच्चों की संख्या को लेकर इस बार शिक्षा विभाग ने नायाब तरीका अपनाया है। प्रवेश उत्सव के बहाने इस बार सरकारी स्कूलों के टीचर बच्चों के घरों में जाएंगे। घर पर जाकर बच्चों के परिजनों को शिक्षा विभाग की नीतियों के बारे में अवगत कराएंगे। साथ ही उन्हें अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में एडमिशन दिलाने के लिए जागरूक करेंगे। डीईओ डॉ. परमजीत शर्मा का कहना है कि इस बार प्रवेश उत्सव में शिक्षक बच्चों के घर घर जाकर उनके परिजनों को सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिलाने के लिए जागरूक करेंगे। यह कदम से जरूर स्कूलों में अध्यापकों की संख्या में बढ़ावा होगा। 
ऐसे करेंगे जागरूक 
शिक्षकों को सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए स्कूल में ही नहीं बल्कि घर घर जाकर जागरूक करना होगा। शिक्षक घर घर जाकर बच्चों के परिजनों को सरकारी स्कूलों की सुविधाएं, विभाग की योजनाएं व सरकारी स्कूल में बच्चों का एडमिशन दिलाने पर मिलने वाले लाभ के बारे में बताएंगे। अभी तक ऐसा सिर्फ प्राइवेट स्कूल में हुआ करता था। सत्र शुरू होते ही प्राइवेट स्कूल के संचालक हर साल अभियान चलाते हैं। जिसमें पंपलेट छपवाकर लोगों के घरों में बांटे जाते हैं। स्कूल के टीचर घर घर जाकर बच्चों के परिजनों को स्कूल के बारे में बताते हैं। ताकि किसी तरह से परिजन उनकी बातों में आकर स्कूल में अपने बच्चों का एडमिशन करा दें। लेकिन इस बार शिक्षा विभाग भी प्राइवेट स्कूल के पैटरन पर चलता दिख रहा है। स्कूलों में एडमिशन संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षकों को घर घर भेजने की योजना तैयार की गई है। 
लगातार पिछड़ रहा शिक्षा विभाग : 
अगर देखा जाए तो करोड़ों रुपये की योजनाएं चलाने के बाद भी सरकारी स्कूल बच्चों की संख्या में पिछड़ रहे हैं। घटती संख्या के चलते जिले के कई प्राइमरी स्कूल बंद भी हो चुके हैं। विभाग के नियम के अनुसार जिन प्राइमरी स्कूलों बच्चों की संख्या 25 से कम हो जाती है उसे पास के स्कूल में मर्ज कर दिया जाता है। 
लगातार ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही थी जिनमें बच्चों की संख्या 25 से कम है। इन्हीं स्कूलों को मर्ज होने से बचाने के लिए ही शिक्षा विभाग ने यह प्लान तैयार किया गया है। क्यों न लोगों को सरकारी स्कूल में बच्चों को एडमिशन दिलाने के प्रति जागरूक किया जाए। 
यह भी हो सकता है सुधार 
इस अभियान से जहां सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ेगी, वहीं शिक्षा का उजियारा हर घर तक पहुंच सके। क्योंकि कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर आज भी बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते। शिक्षक घर घर तक जाएंगे तो इससे हो सकता है कि जिन घरों में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते वे भी स्कूल में प्रवेश ले लें।                                                     djymnr

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