2013 महिलाओं के लिए ऐसा वर्ष कहा जा सकता है, जिसमें उन्होंने परंपराओं को तोड़ा। जहां अभी तक पुरुष का वर्चस्व हुआ करता था, इन महिलाओं ने उसको भी तोड़ा? भारत में ही ऐसे कई उदाहरण हैं?
1.) चंदा कोचर
आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर को 'वुमन ऑफ पावर' कहा जाता है। 30 साल में उन्होंने बैंक को देश की श्रेष्ठ निजी बैंक में शुमार किया। उन्हें पद्म भूषण मिल चुका है।
2.) चित्रा रामकृष्ण
1992 में बने सबसे ज्यादा कारोबार करने वाले स्टॉक एक्सचेंज एनएसई की मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक बनी हैं। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज को संभालने वाली वे पहली महिला है।
3.) ज्योत्सना धवन
स्टेम सेल और लाइफ साइंसेज के क्षेत्र में हालांकि महिला पुरुष दोनों ही काम कर रहे हैं, लेकिन ज्योत्सना धवन ने मसल्स स्टेम सेल की दिशा में योगदान दिया है। उनके पिता सतीश धवन ख्यात एयरोस्पेस इंजीनियर थे।
4.) उषा सांगवान
भारत के बीमा क्षेत्र में सबसे पुरानी संस्था एलआईसी में कोई महिला प्रबंध निदेशक के पद पर नहीं पहुंची थी। पहली बार इसकी वे एमडी बनीं। वे एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस में थी और वे इसे पटरी पर लाई थीं।
5.) उषा अनंतसुब्रह्मण्यम
सरकार ने पिछले साल के बजट में देश में एक महिला बैंक शुरू करने की घोषणा की थी। 2013 इस लिहाज से भी अहम् रहा। उषा सुब्रह्मण्यम इसकी पहली चेयरमैन व प्रबंध निदेशक बनाई गई हैं।
6.) अबंति शंकरनारायणन
शराब के क्षेत्र में मार्केटिंग का काम पुरुष ही देखते हैं। भारत के कॉर्पोरेट इतिहास में यह पहला मौका है कि किसी महिला को डाइजियो का मार्केटिंग डायरेक्टर बनाया गया है। अबंति को भारत का प्रभार मिला।
7.) अरुंधति भट्टाचार्य
वे देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की पहली महिला प्रमुख हैं। बैंक की सम्पति 21 लाख 36 हजार करोड़ रु. से ज्याद की है। 1806 में बैंक ऑफ कैलकटा के रूप में स्थापित यह बैंक 1955 में एसबीआई बनी।
8.) शिखा शर्मा
शिखा शर्मा ने कॅरिअर की शुरुआत 1980 में आईसीआईसीआई बैंक से की। 2009 में एक्सिस बैंक की एमडी और सीईओ बनीं। आज एक्सिस देश की तीसरी सबसे बड़ी निजी बैंक है।
9.) निशी वासुदेव
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