** शिक्षा अधिकारी का कहना है कि पढ़ाई के साथ ही कक्षा तत्परता कार्यक्रम करवाना था
कक्षा तत्परता को शिक्षकों ने फिजूल बताना शुरू कर दिया है। क्योंकि अब यूनिट टेस्ट के परिणाम शिक्षा विभाग को देने होंगे। शिक्षकों का कहना है कि विभाग अच्छे परिणाम की मांग कर रहा है जबकि पिछले दो महीने से कक्षा तत्परता के कारण बच्चों को सही तरीके से पढ़ाया ही नहीं गया है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि हमने तो पढ़ाई के साथ ही तत्परता कार्यक्रम चलाने के लिए कहा था लेकिन शिक्षकों ने अच्छी पढ़ाई न कराने का बहाना ही बना लिया है।
दरअसल मई के अंत में राजकीय स्कूलों में यूनिट टेस्ट लिया जाता है। इसका परिणाम शिक्षा विभाग को देना होता है। यदि इस टेस्ट का परिणाम सही नहीं होने पर उच्च अधिकारियों द्वारा शिक्षकों की खिंचाई की जाती है। इसी के चलते शिक्षक कक्षा तत्परता कार्यक्रम को फिजूल बताते हुए कह रहे हैं कि इस वजह से पिछले दो महीने में कोई पढ़ाई नहीं हुई है। इससे अच्छे परिणाम की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
होमवर्क भी नहीं कर पाते हैं: राजकीय स्कूलों के कुछ शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में नाममात्र के लिए पढ़ाई करवाते हैं। इसके अलावा बच्चों को कोई होमवर्क दो तो नहीं करते हैं। क्योंकि उन्हें कक्षा तत्परता कार्यक्रम के लिए तैयारी करनी पड़ती है।
क्यों किया गया था शुरू:
शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा तत्परता कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को एडवांस बनाना है। लेकिन इसकी शुरुआत इसलिए की गई थी क्योंकि पिछले साल अभी तक स्कूलों में विभाग द्वारा किताबें नहीं भेजी गई थीं। जबकि इस साल सत्र शुरू होने के कुछ दिन बाद ही किताबें मिल गई हैं।
50 दिन बचे तैयारी के लिए:
शिक्षकों के मुताबिक 10वीं व 12वीं कक्षा के सितंबर में परीक्षा होने वाली है। जबकि अभी तक कोई पढ़ाई नहीं हुई है। अब एक जून से 1 जुलाई तक स्कूलों की छुट्टियां हो जाएंगी। ऐसे में बच्चों के पास मात्र 50 दिन स्कूली पढ़ाई के लिए समय है। उसमें भी त्यौहारों की कुछ छुट्टियां लग जाएंगी। इससे परीक्षा परिणाम प्रभावित होने की संभावना है।
सत्र के साथ ही प्रोग्राम शुरू:
24 मार्च से सत्र शुरू हुआ है। इसके बाद से ही कक्षा तत्परता कार्यक्रम शुरू कर दिया गया था। दो महीने के लिए यह कार्यक्रम रखा गया, जिसकी समाप्ति 26 मई को है। इस दो महीने में विद्यार्थी व शिक्षक ज्यादा से ज्यादा समय कक्षा तत्परता में अच्छे परिणाम लाने के लिए जुटे रहे। पढ़ाई में कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया।
बच्चों को पढ़ाई के अलावा बाहरी जानकारी से अवगत कराना
"शिक्षा विभाग ने जो कक्षा तत्परता के लिए मॉड्यूल तैयार किया है उसमें यह बताया गया है कि किस क्लास के बच्चों को क्या पढ़ाना है। इसे पढ़ाई के साथ ही करवाना था। यह शिक्षकों को अच्छे से बताया गया था। यह कार्यक्रम इसलिए शुरू किया गया क्योंकि विभाग ने एक सर्वे करवाया था जिसमें पाया गया कि 11वीं, 12वीं के बच्चों को बैंक व अन्य विभागों की कोई जानकारी नहीं रहती है। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों को पढ़ाई के अलावा बाहरी जानकारी से अवगत कराया जाना है। यदि शिक्षकों ने पढ़ाई को दूर रख कर कक्षा तत्परता करवाया है, तो यह उनकी भूल है।"--वंदना गुप्ता, जिला शिक्षा अधिकारी, गुडग़ांव dbgrgn
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