अंबाला सिटी : जिला शिक्षा विभाग ने शिक्षकों का पिछले एक साल से किताबें ढोने का माल भाड़ा दबा रखा है। इसे लेने के लिए शिक्षक दफ्तरों में धक्के खा रहे हैं। आलम यह है कि उन्हें आज तक यह भी नहीं बताया जा रहा है कि उन्हें भाड़ा शिक्षा विभाग के अंतर्गत डीपीसी कार्यालय से मिलेगा या डीईईओ कार्यालय से।
बीते साल शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में वितरित की जाने वाली किताबें लेट हो गई थीं। शिक्षा सत्र के शुरू होने के काफी देर बाद ये किताबें शिक्षा विभाग के डीपीसी कार्यालयों में पहुंचाई गई। उसके बाद नियमानुसार ये तमाम किताबें प्रकाशक द्वारा स्कूलों में ही भेजी जानी थी। लेकिन किताबें लेट होने की वजह से ऐसा नहीं हुआ। इस बात को लेकर उस वक्त काफी बवाल भी हुआ था।
खैर, बाद में शिक्षा निदेशालय की ओर से जिला शिक्षा अधिकारियों को ये निर्देश जारी हुए कि इन किताबों को एक ही सेंटर से स्कूल मुखिया द्वारा उठा लिया जाए और ऐसा करने वाले शिक्षकों को 8 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से भाड़ा दिया जाए। निदेशालय के इस प्रपत्र के बाद सभी स्कूलों ने अपने सेंटरों से स्कूलों बच्चों की किताबें इसलिए खुद ही ढो ली, ताकि स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई और ज्यादा डिस्टर्ब न हो।
शिक्षा निदेशालय के आदेशं के बावजूद आज तक शिक्षकों को किताबें ढोने का भाड़ा नहीं मिला है। अफसरों ने न केवल इन आदेशों की अवहेलना की है, बल्कि तमाम शिक्षकों को ये भी नहीं बताया है कि ये किराया कहां से और कब मिलेगा। शिक्षक नेता राज वर्मा, तरविंद्र व मोहन परोचा के अनुसार हर ब्लाक के सैंकड़ों शिक्षकों का प्रति किलोमीटर के हिसाब से किराया फंसा हुआ है, जिसकी राशि बहुत ज्यादा बनेगी। उनके अनुसार शिक्षक विभाग को अपने भाड़े का बिल बनाकर भी दे चुके हैं, मगर उसके बावजूद इन बिलों की अदायगी कब होगी, इसका कोई अता-पता नहीं है।
शिक्षकों को दिए जाने थे प्रति किलोमीटर आठ रुपये की दर से भाड़ा
"इस बारे में कुछ शिकायतें मिली हैं। मामला डीईईओ कार्यालय से संबंधित है। इस बारे में रिपोर्ट मांगूंगी कि आखिरकार ये पेमेंट क्यों नहीं हुई। उसके बाद इस मामले को वित्तायुक्त के संज्ञान में भी लाया जाएगा।"--सुमन आर्य, जिला शिक्षा अधिकारी, अंबाला au
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