** हाईकोर्ट में चार जुलाई तक सरकार से जवाब तलब
चंडीगढ़ : हरियाणा के निजी स्कूलों को 134-ए के तहत छात्रों के नामांकन को लेकर अभीर राहत मिल गई है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रदेश सरकार से कहा कि वह नियम को लागू कराने के लिए सख्ती न बरते। चीफ जस्टिस संजय किशन कौल व जस्टिस अरुण पल्ली की पीठ ने कहा कि सरकार इस मामले पर अपना पक्ष स्पष्ट करे। सुनवाई के दौरान सरकार ने नियम को छात्रों के हित में और जरूरी बताया।कोर्ट ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाई और पूछा कि यदि यह कानून इतना ही महत्वपूर्ण है, तो सरकार अपना जवाब क्यों नहीं दायर कर रही है। साथ ही बेंच ने कोर्ट ने 4 जुलाई तक सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा। तब तक निजी स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।
फरीदाबाद की संस्था हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस और अन्य की याचिका में कहा गया है कि नियम गैर कानूनी व असंवैधानिक है। नियम राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फी एंड कंप्लसरी एजुकेशन-2009 प्रावधानों के विपरीत है।
याचिका में स्कूल कॉन्फ्रेंस ने हाईकोर्ट से मांग की है कि वह प्रदेश सरकार को 134-ए के बदले कोई और प्रभावी नीति बनाने का आदेश दिया जाए। मौजूदा नियम से प्राइवेट स्कूलों की व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।यह है नियम
नियम 134 ए के तहत मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक पिछड़ा वर्ग के बच्चों के लिए दाखिले का विशेष प्रावधान किया गया है। नियम के तहत प्राइवेट स्कूल बच्चों से सरकारी स्कूलों के बराबर फीस लेंगे। सरकार का यह नियम उसके शिक्षा के अधिकार नियम के आड़े आता है। वहीं दूसरी ओर नियम 134 ए का बोझ सीधा स्कूल पर पड़ता है। इसके लिए उसे बाकी छात्रों पर फीस का बोझ बढ़ाना पड़ेगा, जबकि शिक्षा का अधिकार स्कीम के तहत जिन 25 प्रतिशत बच्चों को प्रवेश दिया जाता है उसकी फीस सरकार द्वारा दी जाती है। दूसरी ओर, सोनीपत में नियम 134-ए को सख्ती से लागू करने की मांग को लेकर अभिभावकों का क्रमिक अनशन सुभाष चौक पर छठे दिन भी जारी रहा। db
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