हरियाणा मौलिक शिक्षा निदेशालय द्वारा सरकारी स्कूलों में तैनात टीजीटी व जेबीटी का एसेसमेंट टेस्ट लेने संबंधी निर्णय के विरोध में शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। विभाग ने प्रदेश भर के करीब 60 हजार शिक्षकों का एसेसमेंट टेस्ट लेने का निर्णय लिया है। शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन के बेतुके फरमान पर अध्यापकों ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए इसका बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान जंगबीर कासनिया ने कहा कि विभाग द्वारा जारी पत्र में ट्रेनिंग नीड टेस्ट के बहाने से शिक्षकों के एसेसमेंट टेस्ट लेने का फरमान जारी किया गया है। इसके अनुसार 26 से 30 मई तक टेस्ट होने हैं। सरकारी स्कूलों में एक जून से ग्रीष्म कालीन छुट्टियां हो रही हैं। स्कूली बच्चों को इन दिनों छुट्टियों के लिए गृह कार्य भी दिया जाता है। जोकि ऐसे बेतुके फरमान की वजह से एक तो फिजूल खर्ची होगी और दूसरा इसका कोई औचित्य भी नहीं है। प्राथमिक शिक्षक संघ इस तरह के फरमान का कड़ा विरोध करता है। जंगबीर कासनिया ने कहा कि प्राथमिक मुख्य शिक्षक के ऊपर अनावश्यक रूप से अनेक कार्य डाल दिए गए हैं, लेकिन उनके अधिकार एसीआर आदि लिखने की शक्तियां छिनी जा रही हैं। जिससे शिक्षकों में अधिकारियों के प्रति भारी रोष बना हुआ है। उन्होंने सरकार को पहले भी सरकारी स्कूलों को प्रयोगशाला नहीं बनाने के बारे में चेताया था। मगर अब एक बार फिर से इस तरह का फरमान जारी किया गया है। इससे स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। शुक्रवार को भिवानी के हुडा पार्क में राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक में इस निर्णय का कड़ा विरोध किया गया।
विरोध जताया :
हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के राज्य महासचिव विकास शर्मा ने भी मौलिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए असेसमेंट टेस्ट के पत्र का कड़ा विरोध जताया है। विकास शर्मा ने कहा कि विभाग द्वारा यह आदेश वापस नहीं लिए गए तो मास्टर वर्ग इसके खिलाफ अपना कड़ा रुख अपनाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर लगातार विभाग प्रयोग कर रहा है। जबकि शिक्षा सुधार में ढांचागत सुविधाएं मुहैया करवाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। dbbwn
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