चंडीगढ़ : नियमितीकरण की आस लगाए बैठे सरकारी स्कूलों में कार्यरत गेस्ट टीचरों की निगाहें लोकसभा चुनाव के नतीजों पर टिकी हुई हैं। प्रदेश सरकार 16 मई के बाद ही इन्हें पक्का करने या किसी अन्य पालिसी में शामिल करने पर निर्णय लेगी। गेस्ट टीचरों के दोनों गुटों के पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से भी कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। मुख्यमंत्री चुनाव आचार संहिता प्रभावी होने के कारण इनकी मांगों पर सीधा-सीधा कुछ भी नहीं बोल रहे।
दोनों गुटों के पदाधिकारी रविवार को यहां मुख्यमंत्री से मिले। दोनों गुटों की उनसे अलग-अलग वार्ता हुई। राजेंद्र शास्त्री गुट ने नियमितीकरण सहित छह मांगों को उठाया, जबकि अरुण मलिक ने केवल दो मुद्दों पर ही चर्चा की। हुड्डा ने शास्त्री गुट को दो टूक कहा है कि 16 मई के बाद ही उनके बारे में उचित निर्णय लिया जाएगा। सरकार उनके भविष्य को लेकर सकारात्मक है। गेस्ट टीचर्स की बाकी मांगों पर भी चुनाव नतीजे आने के बाद ही निर्णय लिया जा सकेगा।
खींचतान भी नियमितीकरण में रोड़ा :
गेस्ट टीचर्स की आपसी गुटबाजी भी उनके नियमितीकरण में रोड़ा बनी हुई है। शास्त्री गुट पर सरकार विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं, जबकि अरुण मलिक को मुख्यमंत्री हुड्डा का खास माना जाता है। मलिक बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने की बात कहते हैं, जबकि शास्त्री गुट उन्हें गेस्ट टीचर्स के पक्का होने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा मानता है। दोनों गुटों की खींचतान के कारण सरकार भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है। dj
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