अम्बाला : करीब 7 महीने पहले हुई गोहाना रैली में हरियाणा के अनुदान प्राप्त स्कूलों के लिए मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा से इन स्कूलों के अध्यापक बहुत खुश थे, उन्हें लगता था कि अब उनका आने वाला कल सुरक्षित हो गया है। मुख्यमंत्री ने इस रैली में ऐलान किया था कि अनुदान प्राप्त स्कूलों के अध्यापकों का सरकारी स्कूलों में समावेश कर लिया जायेगा, लेकिन वह आज तक सिरे नहीं चढ़ पाया। राज्य सरकार हरियाणा के अनुदान प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों के अध्यापकों को दी जाने वाली कुल वेतन व्यय का 75 फीसदी हिस्सा अनुदान के रूप में देती है जबकि मान्यता प्राप्त कॉलेजों के प्राध्यापकों को यह अनुदान 95 फीसदी दिया जाता है। राज्य सरकार को भी इसका फायदा था, क्योंकि 25 फीसदी अधिक राशि खर्च करके उसे मान्यता प्राप्त स्कूलों को करीब 2 हजार अच्छे अध्यापक मिल रहे थे। अध्यापक इसलिए खुश थे कि प्रबंध समिति के झमेलों से उन्हें छुटकारा मिल जाएगा और कम से कम समय पर तो पूरा वेतन मिलेगा।
मान्यता प्राप्त स्कूलों के संगठन के महासचिव रमेश बंसल का कहना है कि उन्हें राज्य सरकार से बहुत उम्मीद थी, लेकिन अब उनकी उम्मीद तकरीबन खत्म होने लगी है। सरकार का रूख अभी तक इस मामले में सकारात्मक नहीं है।
अध्यापक संघ के अन्य कुछ नेताओं का कहना है कि इन स्कूलों की हालत अब लगातार बदतर होती जा रही है और यदि सरकार ने इनका हाथ नहीं थामा तो आने वाले समय में ये स्कूल बंद हो जाएंगे।
डीएवी सीनियर सैकेंडरी स्कूल अम्बाला छावनी के प्राधानाचार्य राजीव कुमार का कहना है कि अभी तक उन्हें उम्मीद बंधी हुई थी, लेकिन अब उन्हें लगता है कि मामला खटाई में पड़ गया है। dt19614
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