** प्रयास : शिक्षा स्तर सुधारने के लिए विभाग गंभीर, 5वीं के लिए 3-4 स्कूलों पर बनेगा 1 परीक्षा केंद्र
रेवाड़ी : शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की कवायद। शिक्षा विभाग पुराने नियमों पर फिर से नए तरीके से लौटाना शुरू कर दिया है। नए नियमों के अनुसार 5वीं कक्षा के विद्यार्थी 5 साल बाद फिर से बोर्ड के दिशा-निर्देश पर परीक्षा में बैठेंगे। परीक्षाएं उसी स्कूल में आयोजित कर विभाग द्वारा बनाए गए परीक्षा केंद्र पर होगी। परीक्षाओं के बाद विभाग को इसकी रिपोर्ट के साथ ही अभिभावकों को भी विद्यार्थियों के प्रोग्रेस कार्ड भेजे जाएंगे, ताकि उन्हें उनके शिक्षा स्तर से अवगत कराया जा सके।
रेवाड़ी : शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की कवायद। शिक्षा विभाग पुराने नियमों पर फिर से नए तरीके से लौटाना शुरू कर दिया है। नए नियमों के अनुसार 5वीं कक्षा के विद्यार्थी 5 साल बाद फिर से बोर्ड के दिशा-निर्देश पर परीक्षा में बैठेंगे। परीक्षाएं उसी स्कूल में आयोजित कर विभाग द्वारा बनाए गए परीक्षा केंद्र पर होगी। परीक्षाओं के बाद विभाग को इसकी रिपोर्ट के साथ ही अभिभावकों को भी विद्यार्थियों के प्रोग्रेस कार्ड भेजे जाएंगे, ताकि उन्हें उनके शिक्षा स्तर से अवगत कराया जा सके।
क्लस्टर की तरह तैयार होंगे सेंटर
विभाग द्वारा प्रदेशभर में 3-4 स्कूलों पर एक क्लस्टर बनाया हुआ है। यानि इन स्कूलों में जो स्कूल बड़ा है और उसमें स्टाफ की कमी नहीं है, उसे क्लस्टर बनाया गया है, जिसके माध्यम से स्कूलों के प्रतिदिन की डाक आदि विभाग को भेजी जाती है। इसी प्रकार अब 5वीं की परीक्षा के लिए भी आसपास के तीन चार स्कूलों पर एक परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। परीक्षा केंद्र में बच्चों की संख्या 150 से 200 के मध्य होगी। विभाग द्वारा अपनाए जा रहे ये नियम कुछ वैसे ही हैं जैसे 5 साल पहले 5वीं की कक्षाओं के लिए लागू होते थे। 5 साल पहले 5वीं की परीक्षाएं बोर्ड परीक्षाओं की तरह ही आयोजित की जाती थी। इनके लिए आसपास के बड़े स्कूल में सेंटर बनाया जाता था। इसके बाद वर्ष 2009-10 में विभाग ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तर्क पर पहली से 8वीं तक की परीक्षा नहीं आयोजित किए जाने का निर्णय लिया था। इसके बाद से ही शिक्षा की गुणवत्ता में आई गिरावट के कारण अब विभाग ने फिर से इन कक्षाओं के लिए परीक्षाएं आयोजित करने के लिए नियमों में बदलाव किया जा रहा है।पांचवीं की कक्षाओं के लिए दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले मिडिल, हाई या सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया जा सकता है, जिन्हें 10वीं या 12वीं की परीक्षाओं के लिए सेंटर बनाया गया हो। वहीं पहली से चौथी तक की परीक्षाएं उसी स्कूल में होंगी। जबकि कक्षा 6 से लेकर 8वीं तक के परीक्षा केंद्रों के लिए स्पष्ट निर्देश नहीं हैं। निर्देशों के अनुसार पहली से 5वीं तक की परीक्षाएं 12 मार्च से तथा छठी से आठवीं की परीक्षाएं 20 मार्च से शुरू की जा सकती हैं।
नकल रोकने दूसरे स्कूलों के शिक्षक देंगे ड्यूटी
पहली से 8वीं तक अभी तक आयोजित किए जाने वाले मंथली टेस्ट में शिक्षक खुद ही पेपर तैयार कर खुद ही चेक करते थे। जाहिर है ऐसे में शिक्षक बच्चों को कम अंक देकर अपना रिकॉर्ड खराब नहीं करेंगे। इसी का असर शिक्षा के गुणवत्ता पर पड़ा। इसके अलावा नकल भी एक कारण बना। अब नकल रोकने के लिए 5वीं के परीक्षा केंद्रों पर दूसरे स्कूलों के शिक्षक ड्यूटी देंगे ताकि बच्चों के शिक्षा स्तर की ठीक-ठीक स्थिति सामने सके। केंद्र में परीक्षा के दौरान 30 बच्चों पर एक सुपरवाइजर भी तैनात होगा।
प्रोग्रेस रिपोर्ट से अभिभावक जानेंगे इंप्रूवमेंट
परीक्षा के दौरान ड्यूटी देने वाले शिक्षक ही बच्चों की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच करेंगे। इसके बाद यह रिपोर्ट बीईईओ के माध्यम से विभाग को भेजी जाएगी। साथ ही अभिभावकों को भी बच्चों की प्रोग्रेस रिपोर्ट भेजी जाएगी। इस पर बच्चों द्वारा अर्जित किए गए अंक भी अंकित होंगे। यानि बच्चे अभिभावकों से पढ़ाई की स्थिति नहीं छिपा सकेंगे। अभिभावक भी प्रोग्रेस रिपोर्ट से बच्चों की इंप्रूवमेंट जान सकेंगे।
मुख्यालय पर डीईओ-डीईईओ को दिए निर्देश
चंडीगढ़ मुख्यालय पर 25-26 फरवरी को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें निदेशालय की ओर से परीक्षाओं जिलों में शिक्षा स्तर को लेकर मंथन किया गया। इसमें पहली से 8वीं की परीक्षाओं के साथ ही शिक्षकों के आवश्यक रूप से डायरी मेंटेन के लिए दिशा निर्देश दिए गए।
सप्ताह भर बाद भेजे जाएंगे प्रश्न पत्र : डीईईओ
"5वीं की परीक्षाएं एक तरह से बोर्ड परीक्षाओं की ही तरह होंगे। इसके लिए मुख्यालय की ओर से निर्देश भी दिए गए हैं। प्राइमरी की परीक्षाएं 12 मार्च से आयोजित की जा सकती हैं। इसके लिए लिखित गाइड लाइन का इंतजार है। जिला के खंड अधिकारियों की बैठक में भी निर्देश दिए जाएंगे। विभाग द्वारा पहले की ही तरह परीक्षाएं आयोजित करना अच्छा कदम है, इससे शिक्षा की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार आएगा।"-- आरपी सांगवान, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, रेवाड़ी। db
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